21वीं सदी में उच्च शिक्षा, समानता और सशक्तिकरण पर नारीवादी दृष्टिकोण
Abstract
21वीं सदी में उच्च शिक्षा में समानता और सशक्तिकरण का प्रश्न वैश्विक स्तर पर शिक्षा और समाज में महत्वपूर्ण विमर्श का हिस्सा बन चुका है। इस शोध पत्र में नारीवादी दृष्टिकोण से उच्च शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी, उन्हें प्राप्त अवसरों, और उनके सामने आने वाली चुनौतियों का विश्लेषण किया गया है। नारीवादी सिद्धांत, जैसे कि उदार नारीवाद, समाजवादी नारीवाद और उत्तर-औपनिवेशिक नारीवाद, ने शिक्षा में लैंगिक असमानताओं को उजागर किया है और उनके समाधान के लिए वैकल्पिक नीतियों और रणनीतियों की आवश्यकता पर बल दिया है। 21वीं सदी में तकनीकी विकास, वैश्वीकरण और डिजिटल शिक्षा जैसे परिवर्तनों ने महिलाओं को उच्च शिक्षा में नई संभावनाएँ प्रदान की हैं, परंतु सामाजिक, सांस्कृतिक और संस्थागत स्तर पर गहरे निहित पूर्वाग्रह और बाधाएँ अब भी मौजूद हैं। इस शोध में भारत सहित विभिन्न देशों के संदर्भों को मिलाकर विश्लेषण किया गया है कि किस प्रकार उच्च शिक्षा संस्थानों में नीतिगत सुधार, पाठ्यक्रम में लैंगिक समावेशिता, और नेतृत्व विकास कार्यक्रम महिलाओं को सशक्त बनाने में सहायक हो सकते हैं। इस अध्ययन का निष्कर्ष है कि नारीवादी दृष्टिकोण केवल असमानताओं की पहचान करने तक सीमित नहीं है, बल्कि शिक्षा में समानता और सशक्तिकरण की दिशा में ठोस और क्रांतिकारी कदम उठाने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
कीवर्ड्स- नारीवादी दृष्टिकोण, उच्च शिक्षा, समानता, सशक्तिकरण, लैंगिक समानता, संस्थागत चुनौतियाँ, शैक्षिक नीतियाँ
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