महिलाओं के सामाजिक एवं लैंगिक भेदभाव के विरूद्ध भारतीय न्यायिक दण्ड व्यवस्था एवं मानवाधिकार

Authors

  • डॉ0 शत्रुघन

Abstract

विश्व के अधिकांश देश पुरूष प्रधान देश रहे हैं, यह भी सर्वविदित है कि इन देशों में महिलाओं की सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं रही और भारत भी इसका अपवाद नहीं रह सका जबकि भारतीय संस्कृति में महिलाओं को प्राचीन काल से ही पूज्यनीय माना गया है। कहा भी गया है कि ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यते रमन्ते तत्र देवता’ अर्थात जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है वहाँ देवताओं का वास होता है, लेकिन फिर भी भारत में महिलाओं की स्थिति प्राचीन काल से ही काफी खराब रही है।न्याय, सामाजिकता, आर्थिक और राजनैतिक जीवन सम्बन्धी संवैधानिक गारण्टी और स्वतन्त्रता, समानता व सम्मान युक्त जीवन के आश्वासन के वाबजूद आज यौन अभद्रता व दूसरे यौन अपराध पति, रिश्तेदार या मित्रों के रुप में लाखों महिलाओं के जीवन के अपना शिकार बना रहे है। समान अधिकार के लिए नीति सम्बन्धी सभी सैद्धान्तिक संकेतक, संवैधानिक गारण्टियॉ व सुरक्षात्मक साधन केवल कागजों पर ही निहित हैं एक औसत भारतीय महिला अभी भी प्रथाओं, आदतां, पूर्व धारणाओं और आचरण के अलिखित, संकेतकों द्वारा शासित होती है।
शब्द संक्षेप- भारत में महिला अधिकार, सामाजिक एवं लैंगिक भेदभाव, भारतीय न्यायिक दण्ड व्यवस्था एवं मानवाधिकार।

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Published

10-09-2023

How to Cite

डॉ0 शत्रुघन. (2023). महिलाओं के सामाजिक एवं लैंगिक भेदभाव के विरूद्ध भारतीय न्यायिक दण्ड व्यवस्था एवं मानवाधिकार . Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 2(09), 104–110. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/120

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Section

Research Paper