मानवाधिकार और घरेलू हिंसा

Authors

  • श्याम सिंह

Abstract

मानव अधिकारों से अभिप्राय मौलिक अधिकारों एवं स्वतंत्रता से है जिसके सभी मानव प्राणी हकदार है। अर्थात उनमें नागरिक और राजनैतिक अधिकार सम्मिलित हैं। जैसे कि जीवन जीने का अधिकार, स्वतंत्र रहने का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कानून के सामने समानता एवं आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों के साथ ही साथ सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने का अधिकार, भोजन एवं रोजगार के साथ-साथ समान शिक्षा का अधिकार भी शामिल है। मानव अधिकार सार्वभौमिक हैं इसलिए ये हर जगह और हर समय लागू होते हैं, जो हर व्यक्ति को उसके लिंग, जाति, पंथ, धर्म, राष्ट्र, स्थान या आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना दिए गए हैं।घरेलू हिंसा दुनिया के लगभग हर समाज में मौजूद है। इस शब्द को विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है जिनमें पति या पत्नी, बच्चों या बुजुर्गों तथा ट्रांसजेंडरों के खिलाफ हिंसा के कुछ उदाहरण प्रत्यक्ष रूप से सामने हैं। पीड़ित के खिलाफ हमलावर द्वारा अपनाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में शारीरिक शोषण, भावनात्मक शोषण, मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार या वंचितता, आर्थिक शोषण, गाली-गलौज, ताना मारना आदि शामिल हैं। घरेलू हिंसा न केवल विकासशील या अल्प विकसित देशों की समस्या है बल्कि यह विकसित देशों में भी बहुत प्रचलित है। घरेलू हिंसा हमारे छद्म सभ्य समाज का प्रतिबिंब है।
महत्वपूर्ण शब्द : मानवाधिकार, मानवीय गरिमा, मौलिक अधिकार स्वतंत्रता एवं घरेलू हिंसा।

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Published

01-08-2023

How to Cite

श्याम सिंह. (2023). मानवाधिकार और घरेलू हिंसा. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 2(08), 62–68. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/129

Issue

Section

Research Paper