घरेलू हिंसा के मानव समाज पर पडने वाले प्रभावों का एक समाजशास्त्रीय अध्ययन

Authors

  • विजय कुमार

Abstract

घरेलू हिंसा मानव समाज के कई क्षेत्रों पर एक बडा बोझ है और हर तरह से, एक राष्ट्र के विकास को बखूवी प्रभावित करती है। कानून से परेसान व खराब स्वास्थ्य,वेरोजगार व्यक्ति महिलाओ से मारपीट करने वाले राष्ट्रों के विकास को नुकसान ही पहुंचाते हैं। यह बुरी आदतें न केवल वर्तमान मानवीय पीढ़ी को ही प्रभावित करती हैं बल्कि यह एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति पर हमले के रूप में शुरू होती है, वह परिवार और समुदाय के माध्यमो से भविष्य में फैलती है। जो किसी भी देश के समाज के लिऐ शुंभ संकेत नही हो सकते है। आज घरेलू हिंसा एक वैश्विक मुद्दा है जो राष्ट्रीय सीमाओं के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक, नस्लीय और वर्ग भेद तक पहुँच चुकी है। यह समस्या न केवल भौगोलिक रूप से व्यापक रूप से फैली हुई है, बल्कि इसकी सत्यता भी अत्यन्त ही व्यापक है, जो इसे एक विशिष्ट और स्वीकृत मानवीय व्यवहार बनाती है। घरेलू हिंसा आज हमारे देश के समाज में व्यापक रूप से फैली हुई है,और बहुत ही गहराई तक व्याप्त है और इसका महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण पर गंभीर प्रभाव भी पड रहा है। इसका निरंतर अस्तित्व नैतिक रूप से असुरक्षित ही दिखता है। व्यक्तियों, स्वास्थ्य प्रणालियों और समाज के लिए इसकी आदतें बहुत अधिक गम्भीर होती है। इसे कैसे सुधारा जाए इसी का मैने संक्षिप्त उल्लेख अपने इस शोध पत्र में किया है।
मुख्य शब्द- घरेलू हिंसा, महिला पर शारीरिक हमला, महिला का मनोवैज्ञानिक शोषण, महिला का सामाजिक शोषण, महिला का वित्तीय शोषण व महिला का यौन उत्पीड़न।

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Published

01-08-2023

How to Cite

विजय कुमार. (2023). घरेलू हिंसा के मानव समाज पर पडने वाले प्रभावों का एक समाजशास्त्रीय अध्ययन. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 2(08), 78–85. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/132

Issue

Section

Research Paper