स्वामी विवेकानन्द के चिन्तन की नई शिक्षा नीति-2020 के संदर्भ में प्रासंगिकता
Abstract
वस्तुतः स्वामी विवेकानन्द जिनका पहला नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था, स्वामी रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे। उनकी मृत्यु क बाद उन्होंने उनकी निःस्वार्थ ईश्वर भक्ति आदि शिक्षाओं का प्रचार प्रस्तुत किया। सन् 1893 ई0 में शिकागो में हुई धर्मो की संसद भाग लिया तथा उसमें भारतीस वैदिक हिन्दू संस्कृति की महानता का वर्णन किया जिसमें मौतिकवाद व अध्यात्मवाद के बीच स्वस्थ संतुलन पर बल दिया। वेदात समाज की स्थापना की, भारत में उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जिसका मुख्य उद्देश्य लोकसेवा व समाज सुधार करना था जिसके केन्द्र वर्तमान समय में भी शिक्षा, स्वास्थ्य व लोकसेवा के कार्य कर रहे हैं।
संकेत शब्द :- स्वामी विवेकानन्द का चिन्तन, प्रासंगिकता, नई शिक्षा नीति 2020 एवं शिक्षा।
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