घरेलू हिंसा और मानवाधिकार

Authors

  • डा0 आरती गुप्ता

Abstract

घरेलू हिंसा एक वैश्विक समस्या है।जो एक व्यक्ति के रूप में महिलाओं के मूल्य को कमजोर करता है। और उन्हें एक इंसान की गरिमा से वंचित करता है। इसलिए यह एक गम्भीर मानवाधिकार उल्लघंन है। घरेलू हिंसा बार-बार होने वाले अपमान जनक व्यवहार की एक श्रृंखला है जो सार्वजनिक व निजी दोनो क्षेत्रों की भागीदारी को प्रभावित करती है।़़़़़़़़़़़़़़ यह महिलाओं के मानसिक मनोवैज्ञानिक, शारिरिक एवं यौन स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाता है। घरेलू हिंसा को गम्भीरता से लेते हुये दुनिया भर के देश अपनी आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक स्थिति की परवाह किये बिना इस खतरे को रोकने के लिये विधायी समाधान तैयार कर रहे है। हालॉंकि घरेलू हिंसा एवं मानवाधिकार स्वतन्त्र विषय है, फिर भी वह आपस में घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित है, और एक दूसरे को बहुत ही गम्भीर रूप से प्रभावित करते है। पहले घरेलू हिंसा के अध्ययन का क्षेत्र बहुत ही सीमित था। इसे घर में पति-पत्नी के बीच वैवाहिक कलह के रूप में देखा जाता था, लेकिन संयुक्त राष्ट्र् और राज्य एजेंसियों जैसी अन्तर्राष्ट्र्ीय एजेंसियों के सामने आने से घरेलू हिंसा की धारणा को एक व्यापक रूप से गम्भीर लिंग और मानवाधिकार मुद्दा माना जा रहा है। यह पेपर मुख्य रूप से घरेलू हिंसा के विविध पहलुओं एवं सयुक्त राष्ट्र् द्वारा उपलब्ध कराये गये मानवाधिकार उपकरणों और घरेलू हिंसा का सामना करने वाले चुनिंदा देशों द्वारा विकसित विधायी उपायों पर केंन्द्रित है। यह पेपर इस मुद्दें पर भारत में नागरिक समाज समूहों द्वारा निभायें गये योगदान एवं भूमिका पर संक्षेप में चर्चा करता है।
कीवर्डः- घरेलू हिंसा, मानवाधिकार, महिलायें, विधान, मानव अधिकार साधन, नागरिक समाज समूह।

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Published

02-09-2023

How to Cite

डा0 आरती गुप्ता. (2023). घरेलू हिंसा और मानवाधिकार. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 2(09), 133–138. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/147

Issue

Section

Research Paper