जेंडर आधारित हिंसा से प्रभावित स्त्रियों के मामलों पर एक विश्लेषण

Authors

  • पंकज यादव , प्रो.(डा.) दीप्ति जौहरी

Abstract

वर्तमान भारतीय परिदृश्य में यदि महिलाओं की प्रास्थिति पर दृष्टि डाली जाये तो हम पायेंगे कि यह उत्तरोत्तर सुदृढ हुई है। किन्तु विचारणीय प्रश्न यह है कि सुदृढ होती इस स्थिति के बाद भी हमारे समाज में बालिकायें व स्त्रियां आज भी कहीं न कहीं अपने आप को असुरक्षित पाती हैं। दहेज, दुराचार, यौन शोषण, एसिड अटैक एवं ऑनर किलिंग जैसे जेंडर आधारित हिंसा के मामले हमारे तथाकथित विकसित समाज में आज भी महिलाओं के सम्मान व सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं। हाल ही में ओलंपिक जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल आयोजनों में देश का नाम रोशन कर चुकी महिला खिलाड़ियों द्वारा सांसद बृजभूषण सिंह पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने का मामला हो या मणिपुर में खुलेआम पुरुषों की भीड़ द्वारा दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर दिन-दहाड़े यौन उत्पीड़न किये जाने का क्रूरतम स्तर का मामला हो, हम इस कथित तौर पर विकसित हो चुके समाज में अद्यतन स्त्रियों को जेंडर भेदभाव झेलते हुये यौन उत्पीड़न और यौन हिंसा के मामलों से अछूता नहीं पाते हैं। हाल ही में द हिन्दू में जनवरी 2023 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार देश में कोई सुसंगत कानून और कानूनी प्रक्रिया के अभाव में एसिड अटैक के पीढ़ितों को न्याय मिलना संभव नहीं हो पा रहा है। यह सब स्थितियां बताती हैं कि भारत में महिलायें/लड़कियां गरिमापूर्ण जीवन व्यतीत करने हेतु अद्यतन संघर्षरत हैं और जब जेंडर आधारित भेदभावपूर्ण स्थितियां अस्तित्व में रहेंगीं, तो निश्चित तौर पर ही जेंडर विषमता का दंश झेलने वाले जेंडर के लोगों के विरुद्ध अपराध का ग्राफ बढ़ने की सम्भावनायें बढ़ेंगीं ही।
शब्द संक्षेप- जेंडर आधारित हिंसा, प्रभावित स्त्रियां के मामले, यौन उत्पीड़न एवं गरिमा।

Additional Files

Published

02-09-2023

How to Cite

पंकज यादव , प्रो.(डा.) दीप्ति जौहरी. (2023). जेंडर आधारित हिंसा से प्रभावित स्त्रियों के मामलों पर एक विश्लेषण. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 2(09), 145–159. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/150

Issue

Section

Research Paper