आंदोलनधर्मी युवा की पक्षधर ‘जनकवि‘ नागार्जुन की कविता

Authors

  • डॉ. बॉबी यादव

Abstract

नागार्जुन आंदोलनधर्मी कवि हैं। उनका संपूर्ण जीवन जनांदोलनों में शिरकत करते बीता। वे आंदोलन चाहे सरकार के खिलाफ हों, पूँजीपतियों के विरूद्ध हों या फिर विदेशी शक्तियों के। युवा वर्ग देश का भविष्य होता है, वही आगामी सत्ता का नियामक होता है। उसी में किसी भी आंदोलन को पूरी तरह खींच पाने की शक्ति तथा माद्दा होता है। देश में अनेक छात्र आंदोलन हुए जिनमें से कईयों में नागार्जुन ने शिरकत की तथा उन पर कविताएँ लिखीं। ये आंदोलन अलग-अलग समय में तथा भिन्नदृभिन्न समस्याओं पर केन्द्रित थे। नागार्जुन ने समस्याओं की गहराई में जाकर उनकी पड़ताल की तथा उन पर टप्पणियां कीं।
बीज शब्द - शैक्षिक संस्थान, मानवाधिकार, बेरोजगारी, जातिवाद, छात्र आंदोलन, जनांदोलन, युवा वर्ग, इमरजेंसी, समाजवाद, सामाजिक अभियांत्रिकी, भारत-चीन युद्ध, छात्र हिंसा, वैयक्तिक स्वतंत्रता, तानाशाही, शिक्षा।

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Published

02-09-2023

How to Cite

डॉ. बॉबी यादव. (2023). आंदोलनधर्मी युवा की पक्षधर ‘जनकवि‘ नागार्जुन की कविता. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 2(09), 185–190. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/155

Issue

Section

Research Paper