लैंगिक भेदभाव एवं महिला सशक्तीकरण- एक समीक्षा

Authors

  • डा0 अवनीश कुमार गौतम , डा0 माया भारती

Abstract

लैंगिक भेदभाव का विषय बीसवीं सदी में राजनीति के क्षेत्र में एक ज्वलंत मुद्दा रहा है। जिसमें खासतौर से द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अनेक नारीवादी महिलाएं या महिला अधिकारों के समर्थक आगे आए जिन्होंने न केवल महिलाओं के अधिकारों बल्कि उनके साथ हो रहे भेदभाव के विरुद्ध एक आंदोलन का रूप दिया। लैंगिक भेदभाव का आशय सामान्य रूप से स्त्री-पुरुष लिंग के आधार पर भेदभाव करना है। आज भी हमारे समाज में पुत्र और पुत्री में फर्क साफ देखा जा सकता है। जैसे कि घर की लड़कियों को घरेलू काम में लगाना तथा उन्हें बेटे की अपेक्षा कम अच्छे स्कूलों में पढ़ाना या न पढ़ाना तथा लड़कियों को दब्बू एवं शर्मीली बनाना एवं पुत्र को उदंड एवं तेज बनाना, पुत्रियों पर कम पैसा खर्च करना एवं पुत्र पर अधिक पैसा खर्च करना शामिल है। हालांकि जैसे-जैसे शिक्षा का प्रसार हो रहा है तथा सरकार द्वारा बालिकाओं एवं महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने हेतु अनेक कदम उठाए जा रहे हैं यह भेदभाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं जिससे भेदभाव की खाई भी कम होती चली जा रही है। प्रत्येक समाज को चाहिए कि एक ऐसा वातावरण तैयार करे जिसमें लिंग के आधार पर कोई भेदभाव न हो। क्योंकि समाज गाड़ी के ऐसे दो पहियों के समान है जिसमें स्त्री और पुरुष दोनों का ही इसके निर्माण में अहम योगदान होता है ऐसे में यदि नारी रूपी पहिया कमजोर हो या कमजोर कर दिया जाए तब निश्चित ही समाज रूपी गाड़ी नहीं चल सकेगी। इसलिए एक सभ्य समाज को चाहिए कि महिलाओं के साथ लैंगिक आधार पर कोई भी भेदभाव न हो उन्हें हर क्षेत्र में पुरुषों के समान अधिकार एवं अवसर प्रदान कर उन्हें आगे बढ़ने हेतु प्रोत्साहित किया जाए।
भारत का संविधान सभी भारतीय महिलाओं को समान अधिकार प्रदान करने हेतु अनुच्छेद-14 के अंतर्गत विधि के समक्ष समानता एवं अनुच्छेद-15 के अन्तर्गत महिलाओं एवं शोषित वर्गों की गरिमा को सुनिश्चित करने हेतु सामाजिक समानता, अनुच्छेद -16 सरकारी नौकरी प्राप्त करने में समानता, अनुच्छेद- 39 समान कार्य के लिए समान वेतन को लागू करने हेतु राज्य सरकार द्वारा विशेष उपबंध हेतु निर्देश देता है। इसी तरह अनुच्छेद- 42 में काम की न्याय संगत व्याख्या एवं मानवीय गरिमा को सुनिश्चित करने तथा स्त्री प्रसूति सहायता के संबंध में उपबंध किया गया है।
शब्द संक्षेप- बीसवीं सदी की राजनीति, लैंगिक भेदभाव, महिला अधिकार एवं महिला सशक्तीकरण।

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Published

01-10-2023

How to Cite

डा0 अवनीश कुमार गौतम , डा0 माया भारती. (2023). लैंगिक भेदभाव एवं महिला सशक्तीकरण- एक समीक्षा. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 2(10), 42–49. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/181

Issue

Section

Research Paper