घरेलू हिंसाः समाज में महिला सशक्तिकरण और मानवाधिकारों की भूमिका

Authors

  • रत्नेश कुमारी

Abstract

महिलाएं हमारे देश में लगभग आधी अवादी का प्रतिनिधित्व करती है। महिला सशक्तिकरण के लिए हर सरकारी योजनाओं में प्रमुखता दी जाती है। महिलाओं के सशक्तिकरण की प्रक्रिया घर से प्रारम्भ होती है लड़की को अगर कोख से कब्र तक हिंसा सहनी पडे तो वह अपने मूल अधिकारों से वंचित होती है। उसका अपना अस्तित्व समाप्त होने लगता है। सशक्तिकरण का अर्थ सामाजिक न्याय या महिला की एक स्वतन्त्र पहचान के रूप में स्वीकार करना। परिवार में उसके लिए समानता का स्थान प्राप्त होना चाहिए। सशक्तिकरण अधीनता व हिसां की चुनौती है। महिला सशक्तिकरण को समाज में वास्तविक सामाजिक समानता स्थापित करने का साधन माना जा सकता है। यह एक सार्वभौमिक मुद्दा है क्योंकि यह समाज में महिलाओं की स्थिति के व्यापक प्रश्न से जुड़ा है। किसी भी समाज के विकास को उस समाज में महिलाओं की स्थिति के आधार पर समझा जा सकता है। घरेलू हिंसा महिलाओं के मानव अधिकारों के लिए एक गम्भीर समस्या है। इस समस्या का सम्बन्ध महिलाओं के विरुद्ध उसने अपने पहचान के सम्बंधी द्वारा की गई हिंसा से है जो शारीरिक, मानसिक भावनात्मक तथा यौन हिंसा के रूप में हो सकती है। इसका सम्बन्ध पत्नी के साथ दुर्व्यवहार करने व पति द्वारा उत्पीड़न मानसिक तथा आर्थिक शोषण से है। घरेलू हिंसा हर तरह के सामाजिक स्तर पर घरों में भी होती है। आर्थिक क्षेत्र में महिलाएँ प्रभावशाली भूमिका निभा रही है। उसके बावजूद उन पर घरेलू हिंसा होती है। घरेलू हिंसा रोकने के लिये घर रहने वाली स्त्री पुरूषों की सोच में क्रान्तिकारी परिवर्तन की आवश्यकता है। यह शुरूआत शिक्षा एवं जनचेतना के कार्यों को ही सम्भव है। यानी घरों में शान्तिपूर्ण वातावरण बनाने के लिये अध्यापक, जनसंगठन, महिला संगठन, बुद्धिजीवी वर्ग, प्रशासन, पुलिस तथा न्याय पालिका आदि को सामने आना होगा ताकि घर की चार दीवारी से घटित हिंसा पर काबू पाया जा सके। महिलाओं की आये दिन होने वाली घरेलू हिंसा अधिनियम 26 अक्टूबर 2006 कानून सरकार द्वारा लागू कर दिया गया है। इनके द्वारा महिलाओं पर हो रही हिंसा पर अंकुश लगाये जाने का प्रयास किया जा रहा है। महिलासक्तिकरण में मानवाधिकार भी अपने दायित्वों को निभाता है।
मुख्य शब्दः- घरेलू हिंसा, समाज, महिलासशक्तिकरण एवं मानवाधिकार।

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Published

01-10-2023

How to Cite

रत्नेश कुमारी. (2023). घरेलू हिंसाः समाज में महिला सशक्तिकरण और मानवाधिकारों की भूमिका. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 2(10), 54–62. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/183

Issue

Section

Research Paper