महिला उत्पीड़न : एक सामाजिक एवं वैज्ञानिक विश्लेषण

Authors

  • रुचि जायसवाल

Abstract

’’यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः“ भारतीय संस्कृति में यह कहा गया है कि जहां नारी की पूजा होती है वहीं देवताओं का निवास होता है यह श्लोक यह दर्शाता है कि प्राचीन वैदिक काल में महिलाओं की स्थिति समाज में बहुत अच्छी थी। किंतु वैदिक काल के पश्चात जब मध्यकाल में आपस में होने वाले युद्धों युद्ध के फल स्वरुप धीरे-धीरे महिलाओं की स्थिति बिगड़ती चली गई और प्रत्येक युद्ध के दौरान महिलाओं का सबसे ज्यादा उत्पीड़न होता था। इनसे बचने के लिए महिलाओं के लिए बहुत सारे सामाजिक नियम कानून बना दिए गए किंतु बाद में यही नियम महिलाओं के लिए सदैव बंधनकारी हो गए और इन्होंने सामाजिक कुरीतियों का रूप ले लिया जैसे की सती प्रथा, पर्दा प्रथा, कम आयु में विवाह ,बहु पत्नी प्रथा आदि। वर्तमान समय में इन कु प्रथाओं का उन्मूलन हो चुका है और महिलाएं आत्मनिर्भरता की तरफ अपना कदम बढ़ा चुकी हैं।
शब्द संक्षेप- महिला कानून, घरेलू हिंसा, महिला उत्पीड़न एवं एक वैज्ञानिक विश्लेषण।

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Published

01-10-2023

How to Cite

रुचि जायसवाल. (2023). महिला उत्पीड़न : एक सामाजिक एवं वैज्ञानिक विश्लेषण. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 2(10), 85–88. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/188

Issue

Section

Research Paper