वर्तमान समय में स्त्री शिक्षा की प्रासंगिकता
Abstract
शिक्षा मनुष्य के जीवन का महत्त्वपूर्ण लक्ष्य होने के साथ-साथ वाँछनीय लक्ष्यों की पूर्ति का एक उपयोगी साधन भी है। इसके द्वारा भी व्यक्ति एवं समाज का सर्वांगीण विकास सम्भव है। यह व्यक्ति के व्यक्तित्व एवं बुद्धि का विकास कर उसे आर्थिक, राजनैतिक एवं सांस्कृतिक कार्यां का सम्पन्न करने योग्य बनाती है। शिक्षा को एक ऐसे उपकरण के रूप में भी मान्यता दी गयी है, जिसकी सहायता से समाज में परिवर्तन व विकास के अभीष्ट लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है। यही कारण है कि मानव अधिकारों के सार्वजनिक घोषणापत्र में शिक्षा को प्रत्येक मनुष्य के मूल अधिकारों में से एक माना गया है। किसी भी राष्ट्र को उन्नति पथ पर आगे ले जाने में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षा ही वह साधन है जिसके माध्यम से व्यक्ति, समाज व राष्ट्र को उन्नतिशील बनाता है। इसके अतिरिक्त यह भी कहा जा सकता है कि जिस शिक्षा को ग्रहण कर मनुष्य स्वयं का, राष्ट्र का और समाज का उत्थान करे तथा इसके माध्यम से जीविकोपार्जन करे, इसी में शिक्षा की सार्थकता है। बात जब महिला शिक्षा की आती है तो स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इस विषय में वाँछित लक्ष्यों को प्राप्त किया जाना अभी शेष है।
शब्द संक्षेप- वर्तमान शिक्षा, समाज में परिवर्तन व विकास एवं स्त्री शिक्षा की प्रासंगिकता।
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