महिला अधिकार-घरेलू हिंसा से संरक्षण अधिनियम 2005

Authors

  • डॉ रेनू सिंह

Abstract

“यदि सभी पुरुष स्वतंत्र पैदा होते हैं, तो ऐसा कैसे है कि सभी महिलाएँ गुलाम पैदा होती हैं?“
“मैरी एस्टेल 1668-1731ः विवाह पर कुछ विचार (1706 संस्करण)“
महिलाओं के खिलाफ हिंसा एक सामाजिक, आर्थिक, विकासात्मक, कानूनी, शैक्षणिक, मानवाधिकार और स्वास्थ्य (शारीरिक और मानसिक) मुद्दा है। दुनिया एक नई सहस्राब्दी में प्रवेश कर चुकी है, लेकिन सभ्यता के उद्भव से लेकर आज तक, भारत के पितृसत्तात्मक समाज की महिला पर अत्याचार और दुर्व्यवहार जारी है। वह आश्रित है, कमजोर है, शोषित है और जीवन के हर क्षेत्र में लैंगिक भेदभाव का सामना करती है। लिंग आधारित हिंसा जो महिलाओं की भलाई, गरिमा और अधिकारों को खतरे में डालती है, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और क्षेत्रीय सीमाओं तक फैली हुई है।
एक पक्ष यह भी है कि भारतीय समाज सदैव नारी का सम्मान करता रहा है। हिंदू धर्म में, पुरुष और महिला दिव्य शरीर के दो हिस्सों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके बीच श्रेष्ठता या हीनता का कोई प्रश्न नहीं है। हिंदू इतिहास गार्गी, मैत्रेयी और सुलभा जैसी महान महिलाओं का गवाह है, जिनकी तर्क क्षमता सामान्य मनुष्यों की तुलना में कहीं बेहतर थी। पूरे देश में सरस्वती, दुर्गा, लक्ष्मी, काली आदि अनेक देवियों की पूजा की जाती है।
महाभारत के अनुसार स्त्री की पूजा करने से वस्तुतः समृद्धि की देवी की पूजा होती है। जबकि एक स्याह पक्ष में, पितृसत्तात्मक व्यवस्था ऋग्वेद के समय से ही जारी है। रीति-रिवाज और मूल्य पुरुषों द्वारा पुरुषों के पक्ष में बनाए गए थे। जबकि महिलाएं इस भेदभाव को चुपचाप सहती रहीं हैं। महिलाओं को संरक्षण प्रदान करने हेतु ही महिला संरक्षण अधिनियम 2005 बनाया गया है। ताकि महिलाओं को सशक्त, आत्मनिर्भर, निडर बनाया जा सके। आज हम सभी सशक्तिकरण से पूर्णतः परिचय हैं।
महिला सशक्तिकरण का तात्पर्य ही स्त्री को शक्ति प्रदान करने से है, परंतु यहां शक्ति का अभिप्राय दूसरे पर आधिपत्य स्थापित करना नहीं है। बल्कि स्त्रियों में जीवन का सामना करने के लिए आंतरिक सुंदरता एवं विश्वास की भावना का विकास है ।सशक्तिकरण की प्रमुख विशेषता ही प्रत्येक स्त्री को मानवाधिकार का ज्ञान करना है।उक्त लेख में महिला अधिकार संरक्षण अधिनियम एवं विभिन्न प्रकार के घरेलू हिंसा से होने वाली शारीरिक मानसिक उत्पीड़न मामले में विस्तृत चर्चा की गयी है। साथ ही घरेलू हिंसा को रोकने व महिलाओं को इस विषय में जागरूक करने हेतु प्रोत्साहित किया गया है।
खोज बिन्दु - महिला अधिकार, घरेलू हिंसा, अधिनियम एवं लैंगिक असमानता।

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Published

01-10-2023

How to Cite

डॉ रेनू सिंह. (2023). महिला अधिकार-घरेलू हिंसा से संरक्षण अधिनियम 2005. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 2(10), 178–182. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/226

Issue

Section

Research Paper