आर्थिक विकास में लिंग समानता की भूमिका

Authors

  • नीलम चौधरी

Abstract

परिवार समाज व देश की प्रगति में महिला व पुरुष दोनों की भागीदारी आवश्यक है, लैंगिक समानता पुरुष और महिलाओं के बीच में व्याप्त सभी मतभेदों को समाप्त कर दोनों के लिए समान अवसर प्रदान करता है। लैंगिक समानता जहां एक ओर बुनियादी मानव अधिकार है तो वहीं दूसरी ओर अधिकारों के समायोजन मे असंतुलन प्रतीत होता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें लिंग की परवाह किए बिना अर्थात स्त्री पुरुष का भेद किए बिना अधिकारों और अवसरों तक समान पहुंच प्राप्त होती ळें 10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा द्वारा लैंगिक समानता को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का हिस्सा बना दिया था। किसी भी राष्ट्र में लैंगिक समानता के व्याप्त होने से न केवल मानव पूंजी बढ़ती है अपितु स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार का स्तर भी बढ़ता है। महिलाओं के सशक्त बनने से उत्पादकता और आर्थिक विकास को तीव्र गति प्रदान होती है। हमारे विश्व में सबसे बड़ी मानवाधिकार चुनौती है,लैंगिक समानता को हासिल करना।लैंगिक समानता किसी भी समाज और राष्ट्र के लिए अत्यंत आवश्यक तत्व है यद्यपि महिलाओं की उन्नति और लैंगिक समानता आर्थिक विकास को बढ़ावा देती है लेकिन फिर भी हम लिंग असमानता में जी रहे हैं। महिलाओं की प्रगति और लैंगिक समानता का मानव पूंजी निर्माण, श्रम उत्पादकता, रोजगार सृजन व समग्र सामाजिक आर्थिक और मानव विकास पर गहरा असर पड़ता है।
मुख्य शब्द -लैंगिक समानता, आर्थिक विकास, महिला सशक्तिकरण, लैंगिक असमानता।

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Published

01-12-2023

How to Cite

नीलम चौधरी. (2023). आर्थिक विकास में लिंग समानता की भूमिका. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 2(12), 61–64. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/289

Issue

Section

Research Paper