वैश्वीकरण के दौर में कार्यरत महिलाओं की प्रस्थिति एवं भूमिका का निर्वहन एवं समायोजन-एक समाजशास्त्रीय अध्ययन

Authors

  • प्रतिभा भास्कर

Abstract

वैश्वीकरण पूरे विश्व में एक ऐसी जटिल प्रक्रिया के रूप में सामने आया जिसने बिखरे हुए विश्व को एक सूत्र में पिरो दिया, जिसने विभिन्न देशों की दूरियों को मिटा दिया। इसमें उच्च प्रौद्योगिकी के स्थानांतरण के साथ आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक जीवन में व्यापक एवं तीव्रगामी परिवर्तन परिलक्षित होते हैं जो पूरे समाज पर प्रभाव डालते हैं। वैश्वीकरण के द्वारा परंपरागत भारतीय महिलाओं की प्रस्थिति एवं भूमिका पर व्यापक प्रभाव पड़ा, जहां उनका जीवन घर की जिम्मेदारी, बच्चों के पालन पोषण और धार्मिक रीति-रिवाजों को पूरा करने में निकल जाता था वहीं वैश्वीकरण ने देश की अर्थव्यवस्था को नए आयाम दिए जिसमें महिलाओं को आगे बढ़ाने के नए अवसर उपलब्ध हुए, महिलाएं घर की चारदीवारी से निकलकर शिक्षत होकर विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए अपनी जिम्मेदारी को निभा रहीं हैं। वैश्वीकरण में कार्यरत महिलाओं की परिस्थितियों और उनकी भूमिकाओं में बदलाव हुआ है, वह अपनी परंपरागत भूमिका को निभा रही हैं और साथ ही नई परिस्थितियों में अपने आपको ढाल भी रहीं हैं, उन्हें अपनी कुछ भूमिकाओं को छोड़कर आगे बढ़ना पड़ रहा है जिससे वह समाज में अपनी नई जिम्मेदारियां को निभा सकें। अपनी इस नई परिस्थिति और भूमिका के द्वंद से निकालकर महिलाएं अनेक क्षेत्रों में अपना नाम रोशन कर रही है और आने वाली पीढियां के लिए एक मिशाल पेश कर रही हैं।
मुख्य शब्द- वैश्वीकरण, महिला, प्रस्थिति, भूमिका, कार्यरत, तकनीकी, प्रौधौगिकी।

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Published

01-12-2023

How to Cite

प्रतिभा भास्कर. (2023). वैश्वीकरण के दौर में कार्यरत महिलाओं की प्रस्थिति एवं भूमिका का निर्वहन एवं समायोजन-एक समाजशास्त्रीय अध्ययन. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 2(12), 100–112. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/296

Issue

Section

Research Paper