लैंगिक समानता एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भूमिका

Authors

  • डॉ अपर्णा शुक्ला

Abstract

आज के इस अर्थ प्रधान युग में महिला एवं पुरुष दोनों ही अर्थव्यवस्था की उन्नति के लिए भरसक प्रयास करते हैं परंतु प्राचीन काल से लेकर आज तक समाज की मानसिकता कई स्तरों में आज भी कहीं ना कहीं असमानता एवं भेदभाव की दृष्टिकोण से निहित है। महिलाओं को कई काम करने से हतोत्साहित किया जाता है। उन्हें घर की देखभाल करने वाली ही समझा जाता है लैंगिक असमानता हर किसी को प्रभावित करती है, चाहे वह बच्चे हो, महिलाएं हो, ट्रांसजेंडर हों या पुरुष भी। लैंगिक समानता एक मानवधिकार है लेकिन विभिन्न अवसरों तक पहुंच के साथ-साथ महिलाओं और पुरुषों के लिए निर्णय लेने की शक्ति में एक निश्चित अंतर प्रतीत होता है। महिला सशक्तिकरण लैंगिक समानता लाने का एक महत्वपूर्ण पहलू है। महिलाओं को समान अवसर देने और उन्हें अधिकारों से समान हिस्सेदारी की गारंटी देने से न केवल लैंगिक समानता हासिल करने में मदद मिलती है, बल्कि विकास लक्ष्यों की एक विस्तृत श्रृंखला भी हासिल होती है।
शब्द संक्षेप- महिला सशक्तिकरण, लैंगिक समानता, ग्रामीण अर्थव्यवस्था एवं महिलाओं की भूमिका।

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Published

01-11-2023

How to Cite

डॉ अपर्णा शुक्ला. (2023). लैंगिक समानता एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भूमिका. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 2(11), 90–93. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/301

Issue

Section

Research Paper