ग्रामीण विकास में नियोजन की भूमिका का विश्लेषणात्मक अध्ययन

Authors

  • डॉ0 रमन प्रकाश

Abstract

किसी क्षेत्र के नियोजन में उस क्षेत्र के भौगोलिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक तत्वों का अध्ययन किया जाता है। भूगोल के अन्तर्गत क्षेत्रीय नियोजन, न केवल क्षेत्रीय संसाधनों का अध्ययन और उनकी समस्याओं पर प्रकाश डालता है बल्कि उस क्षेत्र के प्राकृतिक, भौतिक और मानवीय कारकों के बीच अन्तर्सम्बन्ध का अध्ययन भी करता है। भारत में क्षेत्रीय विकास एवं नियोजन का दायरा सीमित है क्योंकि प्रत्येक क्षेत्र या राज्य का नियोजन उस क्षेत्र विशेष की राजनैतिक सत्ता द्वारा निर्धारित होता है। भारत में क्षेत्रीय असमानताओं के कारण भी नियोजन में समस्यायें आती है। स्वतंत्रता के समय भारत में प्रति व्यक्ति आय, प्रति व्यक्ति उपभोग, शिक्षा व स्वास्थ्य एवं आधारभूत संरचना के रूप में असमानताएं व्यापक रूप लिए हुए थीं किन्तु क्षेत्रीय असंतुलन को घटाने का कार्य दो प्रमुख संस्थाओं वित्त आयोग और योजना आयोग (वर्तमान में नीति आयोग) को सौंपा गया। दोनों संस्थाओं ने नियोजन के प्रत्येक स्तर में मौजूद समस्याओं के लिए नियम/कानून बनाकर उसे दूर करने का प्रयास किया। क्षेत्रीय नियोजन के निम्न स्तर, ग्राम पंचायत को सुदृढ़ बनाने के लिए संविधान में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की वकालत की गयी, तथा सत्ता विकेंद्रीकरण पर जोर दिया गया। विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में क्षेत्रीय विकास की कई योजनाएं क्रियान्वित की गयी- सामुदायिक विकास कार्यक्रम, सूखाग्रस्त क्षेत्र कार्यक्रम, कमान क्षेत्र विकास कार्यक्रम, पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम, एकीकृत जनजातीय विकास परियोजनाएं, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम, एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम, जवाहर रोजगार योजना, भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम आदि।
सार शब्द:- क्षेत्रीय संसाधन एवं नियोजन, क्षेत्रीय असमानताएं, पंचायती राज व्यवस्था, पंचवर्षीय योजनाएं।

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Published

01-11-2022

How to Cite

डॉ0 रमन प्रकाश. (2022). ग्रामीण विकास में नियोजन की भूमिका का विश्लेषणात्मक अध्ययन. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 1(11), 63–70. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/303

Issue

Section

Research Paper