अब्दुल बिस्मिल्लाह के कथा साहित्य में साम्प्रदायिकता का चित्रण
Abstract
धर्म किसी भी देश, राज्य या समुदाय का एक बड़ा मुद्दा होता है। प्राचीन काल से ही धर्म किसी भी देश की राजनीति में आम जनता को प्रभावित करता रहा है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। संविधान में यह बात महत्वपूर्ण रूप से वर्णित की गई है। फिर भी समय-समय पर राजनेता अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए धर्म को मुद्दा बनाते हैं। क्योंकि भारत में विभिन्न धर्म और समुदाय के लोग निवास करते हैं तथा समय-समय पर उनकी भावना मुखर होती है। कुछ धर्म के लोग अधिक संख्या में तथा कुछ धर्म के लोग कम संख्या में निवास करते हैं। धार्मिक आधार पर कम जनसंख्या वाले लोग अल्पसंख्यक समुदाय में आते हैं।
भारत में मुस्लिम समाज अल्पसंख्यक समुदाय में माना जाता है। अब्दुल बिस्मिल्लाह के कथा साहित्य में हमें विभिन्न रूप से धार्मिक व सांप्रदायिक भावना बिखरी हुई दिखाई देती है। मुस्लिम समूह के लोग एक दूसरे के साथ सांप्रदायिक एकता रखते हैं। परंतु सांप्रदायिकता देश व समाज के लिए खतरा बन गई है सांप्रदायिकता प्राचीन काल से ही हमारे देश में फैली हुई। प्रत्येक समय पर शासको ने अपना फायदा उठाने के लिए सांप्रदायिकता को और ज्यादा फैलाया है। हिंदू- मुस्लिम दोनों ही समुदाय अपने-अपने धर्म को लेकर कठोर हो जाते हैं तथा भाई-चारा भूल जाते हैं।
सार शब्द:- भारतीय सामाजिक परिदृश्य, अब्दुल बिस्मिल्लाह, कथा साहित्य, साम्प्रदायिकता का चित्रण।
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