नयी चुनौतियों के परिप्रेक्ष्य में भारत- चीन सम्बन्ध

Authors

  • रमाकान्त1

Abstract

भारत चीन सम्बन्धों का उदय भारत की आजादी के साथ आरम्भ हुआ जिसमें कुछ शर्तो के साथ सम्बन्ध स्थापित किये गये जैसे चीन पश्चिमी देशों की भांति युद्ध, विस्तारवाद, आक्रणकारी शक्तियों का प्रयोग नहीं करेगा। दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने पर बल दिया जायेगा आदि। भारत चीन सम्बन्ध बहुत प्राचीन काल से माने जाते है क्योंकि बौद्ध धर्म के प्रचलन एवं दानों देशों में इसका सम्मान प्रचुरता से होता रहा है। समय रहते हुये दोनों देशों में सम्बन्ध बनते बिगड़ते रहे है लेकिन कोरोना काल में जिस तरह सभी देश चीन से निर्भरता खत्म करना चाह रहे थे ऐसा होना सम्भव नहीं है और इस प्रभाव से अछूता भारत भी नहीं है क्योंकि जहाँ अमेरिका संरक्षण वाद लेकर आगे बड़ा वहीं चीन समाजवाद लेकर आगे बड़ रहा है और रूचिकर बात यह है कि चीन आज विश्व में उदारीकरण नीति का प्रबल राज्य बनता जा रहा है। एशिया में जहाँ चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था से पैर फैला रखे है उसी प्रकार विश्व अर्थव्यवस्था में भी तेजी से आगे जा रहा है। चीन ने लगभग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना वर्चस्व कायम कर रखा है वहीं भारत की अपनी अलग समस्या है जैसे त्ब्म्च् में चीन का होना भारत का न होना, ज्च्च् में चीन का होना आदि ऐसी स्थिति है जहाँ चीन बढ़चढ कर हिस्सा ले रहा है किन्तु भारत पीछे हो रहा हालांकि भारत की अपनी जरूरते अलग है। कृषि प्रधानता आज भी है औद्यौगिकीकरण भी उतना श्रेष्ठ गुणवत्ता का नहीं है फिर भी भारत के लिये चीन के परिप्रेक्ष्य में चुनौती बहुत अधिक है जिससे निपटने के लिये भारत सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैसले लेने की आवश्यकता है।
भारत में तकनीकी विकास चीन की तुलना में काफी धीमा है चीन जहाँ आज विश्व में ड्रैगन बनकर खडा़ है वहीं भारत की स्थिति अस्थिरता से गुजर रही है लेकिन धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। इसी कारण चीन भारत पर दबाव पूर्ण एवं विस्तारवादी नीतियों का पालन कर रहा है। हाल ही कि घटना गलवन घाटी, डोकलाम विवाद आदि घटित हुये जिसमें चीन की विस्तारवादी एवं साम्राज्य वादी नीति दिख रही है।
शब्द कुजीं- भारत, चीन, विस्तारवादी, समाजवाद, सरकार, उदारीकरण, त्ब्म्च् अर्थव्यवस्था, समझसैता, शीत युद्व आदि।

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Published

30-04-2024

How to Cite

रमाकान्त1. (2024). नयी चुनौतियों के परिप्रेक्ष्य में भारत- चीन सम्बन्ध. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 3(04), 18–23. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/336

Issue

Section

Research Paper