प्रसाद के काव्य साहित्य में स्त्री गरिमा का प्रस्तुतिकरण

Authors

  • श्री गोपाल सिंह1

Abstract

श्री जयशंकर प्रसाद ने अपने साहित्य के माध्यम से स्त्री गरिमा और महिमा का आख्यान प्रस्तुत किया है। उन्होंने नारी को एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत किया है। उनकी नारी एक ओर दया माया ममता और करुणा की प्रतिमूर्ति है तो दूसरी ओर वह शक्ति स्वरूपा भी है। वह पुरुष की प्रेरणा स्रोत है नारी का यह स्वरूप प्रसाद की प्रतिनिधि रचना कामायनी में निखर कर सामने आया है। प्रसाद के नारी चरित्र अपूर्व देश प्रेम और सर्व मंगल की भावना से भरे हुए हैं। और दूसरों को भी वैसा ही करने की प्रेरणा देते हैं। श्री जय शंकर प्रसाद ने अपनी रचनाओं के माध्यम से स्त्री जीवन से जुड़ी अनेक समस्याओं को भी उठाया है और अपने स्तर से उनका समाधान भी प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। प्रसाद जी स्त्री पुरुष के बीच समता के हिमायती थे। किंतु वे स्त्री को पुरुष की और पुरुष को स्त्री की प्रतिद्वंद्विता में नहीं खड़ा करते अपितु उन्हें एक दूसरे का पूरक बनाकर प्रस्तुत करते हैं। स्त्री पुरुष के मध्य सामरस्य की स्थापना करते हैं।
बीज शब्द- समरसता, कृष्णागुरुवर्तिका, नवजागरण , संसृति, पुरुषत्व-मोह, शैवागम, महाचिति, उन्मीलन।

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Published

01-12-2023

How to Cite

श्री गोपाल सिंह1. (2023). प्रसाद के काव्य साहित्य में स्त्री गरिमा का प्रस्तुतिकरण. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 2(12), 133–139. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/358

Issue

Section

Research Paper