लैंगिक हिंसा और मानवीय गरिमा
Abstract
प्रस्तुत शोधपत्र में लैंगिक हिंसा और एक मानव की गरिमा का स्वरूप स्पष्ट करने का प्रयत्न किया गया है। लिंग आधारित हिंसा या लैंगिक हिंसा से तात्पर्य सीधे तौर परउस हिंसा से है जिसके कारणों के मूल में किसी भी व्यक्ति की लैंगिक पहचान होती है। इसे साहित्यिक भाषा में समझने के लिए यह कहा जा सकता है कि किसी व्यक्ति पर उसकी लैंगिक पहचान मसलन उसके महिला या ट्रांसजेंडर होने के कारण कोई हिंसा की जाती है तो उसे लैंगिक हिंसा कहते है। और इसी परिप्रेक्ष्य में मानवीय गरिमा को देखे तो मानव गरिमा आत्म-सम्मान की एक भावना है। इसलिए गरिमा अपने आप पर गर्व की भावना है। जो एक इंसान के पास है। यह सचेत भाव व्यक्ति को महसूस कराता है कि वे अन्य मनुष्यों से आदर और सम्मान पाने की पात्रता रखते हैं।और लैंगिक हिंसा व मानवीय गरिमा और स्वतंत्रता के बीच संबंध देखे तो मानवीय गरिमा दुनिया में स्वतंत्रता. समानता और शांति सहित सभी अधिकारों की नींव है,और इसे सामाजिक विनियमन के अधिकारों और कर्तव्यों का भी मार्गदर्शन करते हुए पाया गया है। - मेरे इस शोधपत्र विषय को चुनने का मुख्य कारण यही है कि लैंगिक हिंसा का अर्थ, कारण सिद्धांत व रोकथाम के विषय में वर्तमान के लोगों को बताकर उन्हें इस हिंसा के प्रति सतर्क करना और साथ ही साथ अपनी मानवीय गरिमा के बारे मे जानकर स्वयं की व दूसरों की गरिमा का आदर कर सकें।
बीज शब्द- गरिमा, मानवीय, लैंगिक हिंसा,
Additional Files
Published
How to Cite
Issue
Section
License
Copyright (c) 2023 ijarps.org
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License.