घरेलू हिंसा, मानवाधिकार एवं भारतीय कानून
Abstract
आधुनिक समाज में मानवाधिकार घरेलू हिंसा एवं परिवार न्यायालय कानून और सामाजिक संवेदनशीलता पर आधारित विचारों का अध्ययन किया गया है, महिलाओं और पुरुषों के बीच प्राकृतिक रूप से तो कोई अंतर नहीं है लेकिन फिर भी सामाजिक लिंग भेद आज की सच्चाई है नगर, गांव ,कस्बा, हर जगह, हर समाज में लिंगी आधार पर भेदभाव किया जाता है, पितृसात्मक समाज में पुरुषों को आज भी सबसे अधिक महत्व दिया जाता है , आज के समय में संयुक्त परिवारों का विघटन हो रहा है तथा एकांकी परिवार की अधिकता होती जा रही है, जिसका मुख्य कारण आर्थिक कारण तथा घरेलू हिंसा है।
कीवर्ड- आधुनिक समाज, घरेलू हिंसा, मानवाधिकार, भारतीय कानून
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Published
31-07-2024
How to Cite
डा० स्वाती सक्सेना1, शिव शंकर2. (2024). घरेलू हिंसा, मानवाधिकार एवं भारतीय कानून. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 3(07), 30–34. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/366
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Research Paper
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