भारत में आरक्षण व्यवस्थाः एक विश्लेषण

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आरक्षण एक व्यवस्था है जिसे सकारात्मक भेदभाव कहा जाता है। असमानता को दूर करने की जिसके माध्यम से प्रत्येक व्यक्ति समान जीवन का निर्वाह कर सके इसके अलावा, आरक्षण के पीछे मुख्य उद्देश्य समाज के कमज़ोर वर्गों का सशक्तिकरण रहा है। भारत में आरक्षण सदैव एक विवाद और बहस का विषय रहा है। भारतीय राजनीति में आरक्षण की भूमिका सदैव महत्वपूर्ण रही है। तमाम आलोचनाओं के बावजूद आरक्षण की व्यवस्था भारत की राजनीति का एक अभिन्न अंग बन गई है।
अतः इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि आरक्षण की व्यवस्था में दोष नहीं है किंतु उसके क्रियान्वयन की प्रक्रिया में सदैव ही राजनीति विद्यमान रही है। अनुसूचित जाति ,अनुसूचित जाति ,अन्य पिछड़ा वर्ग तथा महिलाओं, बच्चों, विकलांगों को भारतीय संविधान में आरक्षण की व्यवस्था की गई है। प्रत्येक समय समय पर आरक्षण में परिवर्तन होता रहता है ताकि समानता सदैव विद्यमान रहे। आरक्षण एक सकारात्मक विभेद है जो दलित शोषित वर्गों के कल्याण हेतु अस्तित्व में बना हुआ है इसका अभिप्राय है प्रत्येक व्यक्ति को समानता के साथ शिक्षा एवं रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है।
शब्द संक्षेप - भारतीय राजनीति, आरक्षण, समानता, शिक्षा, रोजगार।

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Published

30-09-2024

How to Cite

आरती सोलंकी1, प्रोफेसर विन्नी जैन2. (2024). भारत में आरक्षण व्यवस्थाः एक विश्लेषण. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 3(09), 9–11. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/400

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Research Paper