आजमगढ़ नगर में ठोस अपशिष्ट: उत्सर्जन एंव निस्पादन

Authors

  • डॉ0 धर्मेन्द्र प्रताप यादव1

Abstract

विगत शताब्दी में जनसंख्या विस्फोट, तीब्र औद्योगिक करण, नगरीकरण तथा अन्य सामाजिक-आर्थिक क्रियाकलापों में बेतहाशा वृद्धि के कारण जहाँ पर्यावरण क्षरण और प्रदूषण की समस्या विराल हुई है, वही ठोस, तरल एवं गैसीय सभी प्रकार के अपशिष्टों का उत्सर्जन भी अत्यधिक हुआ है। आज के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक काल में ठोस अपशिष्टों का उत्सर्जन तथा मानव के सामाजिक-आर्थिक विकास में धनात्मक सम्बन्ध होता हैै क्योंकि ठोस अपशिष्टों का उत्सर्जन वास्तव में आाधुनिक समृद्व भौतिकवादी समाज की ही देन हैै। क्रमशः बढ़ती उपभोग की पिपासा ने अपशिष्टों के उत्सर्जन को क्रमशः बढ़ावा दिया है। ठोस अपशिष्टों का विस्तार भू-सतह से बढ़कर जल मण्डल एंव वायु मण्डल के बाहर अन्तरीक्ष में भी ब्याप्त हो गया है। कृत्रिम उपग्रहों के अवशेष आज अन्तरीक्ष को भी प्रदूषित कर रहें है। जिसके कारण पर्यावरण अवनयन, जलवायु परिवर्तन, मानव एवं जीव जन्तुओं के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। अपशिष्टों का निस्तारण और उनका प्रबंधन वैश्विक समस्या के रूप में उभरा है। प्रस्तुत शोध लेख में आजमगढ नगर (उत्तर प्रदेश) में ठोस अपशिष्ट के उत्सर्जन एंव निष्पादन का विश्लेषण करने का प्रयत्न किया गया है।
मुख्य शब्द: अपशिष्ट, उत्सर्जन, निष्पादन, अप्रयोज्य, निष्क्रिय, उदासीनता, पिपासा, अवनयन।

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Published

31-10-2024

How to Cite

डॉ0 धर्मेन्द्र प्रताप यादव1. (2024). आजमगढ़ नगर में ठोस अपशिष्ट: उत्सर्जन एंव निस्पादन. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 3(10), 1–5. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/409

Issue

Section

Research Paper