जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशीलता विकसित करने में शिक्षा की भूमिका
Abstract
‘‘ज्ञान में निवेश सबसे अच्छा ब्याज देता है ‘‘ -बेजामिन फ्रैंकलिन
जलवायु परिवर्तन एक ज्वलंत मुद्दा है आज वैश्विक तापमान में 1.50 की वृद्धि मानव भविष्य के लिए अत्यधिक चिंताजनक है इसका मूल कारण प्राकृतिक एवं मानवीय गतिविधियां हैं। जलवायु परिवर्तन आने वाले भविष्य के लिए एक बड़ा खतरा है, इस वैश्विक समस्या के समाधान के लिए शिक्षा एक महत्वपूर्ण साधन है आज संपूर्ण विश्व अनेक पर्यावरणीय समस्याओं जैसे प्रदूषण,ग्लोबल वार्मिंग, ग्रीनहाउस प्रभावों से जूझ रहा है जिनके घातक परिणाम आज हमारे समक्ष परिलक्षित हो रहे हैं। इन गंभीर समस्याओं के समाधान हेतु लोगों को पर्यावरणीय शिक्षा देकर उनके विचार, व्यवहार एवं दृष्टिकोण को परिवर्तित करने की आवश्यकता है।
पिछले कुछ वर्षों में जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए विश्व स्तरीय संस्था संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2012 में 17 सतत विकास लक्ष्य को प्रस्तावित किया गया। उनमें से एक लक्ष्य 13 है जिसका शीर्षक है “जलवायु परिवर्तन” इसको लाने का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के बारे में लोगों को जानकारी देना और उसके प्रभावों को समझने और उनका समाधान करने में सहायता करना है ताकि इस वैश्विक आपातकाल के लिए लोगों को तैयार किया जा सके। प्रस्तुत शोध पत्र के माध्यम से जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों एवं उसके निपटने में शिक्षा किस प्रकार सहायक है पर चर्चा की गई है। इस अध्ययन में यह विश्लेषण किया गया है की कैसे शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर पाठयक्रम, शिक्षण गतिविधियां और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से छात्रों में पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी और जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशीलता को विकसित किया जा सकता है। इसके साथ ही शिक्षकों की भूमिका, सामुदायिक सहभागिता और तकनीकी नवाचारों के उपयोग पर भी चर्चा की गई है।
की वर्ड्स- पर्यावरणीय शिक्षा, सतत विकास लक्ष्य, शिक्षा, जलवायु परिवर्तन
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