बाल्मीकि रामायण में पर्यावरण: एक अन्वेषण

Authors

  • कु0 राधिका1

Abstract

पर्यावरण स्थायी मानवीय जीवन का आधार बनते हैं। वाल्मीकि रामायण में परिस्थितिकी तंत्र का सुंदर वर्णन मिलता है। इस लेख में पर्यावरण शब्द की व्यूत्पत्ती एवं अर्थ को परिभाषित किया गया है। पर्यावरण मानव जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है इस पर विचार किया गया है। अनंतर प्रभु श्री राम की वनवास यात्रा के दौरान प्राप्त अयोध्या नगर से लेकर श्रीलंका तक भारतीय प्रायद्वीपीय वनों की वर्तमान स्थिति का विवरण दिया गया हैं। तत्पश्चात पर्वतों एवं नदियों का उल्लेख किया गया है। रामायण में वर्णित विभिन्न प्रजाति के जीव-जंतु एवं पेड़-पौधों का भी वर्णन किया गया है। महर्षि वाल्मीकि कृति रामायण केवल धार्मिक विषयों को ही उद्धृत नहीं करते, अपितु संपूर्ण भारत में पर्यावरण के विषय को भी समझाते हैं। जिसको श्रेष्ठतम स्तर पर लाने के लिए सिर्फ मानव जाति ही नहीं, बल्कि वहां के पशु, पक्षी भी वातावरण को स्वच्छ एवं स्वस्थ रखने में समान भूमिका निभाते थे। अतः लेख में उल्लेखित विवरण से स्पष्ट होता है की। रामायण काल में पर्यावरण अपने उन्नत स्थिति में था। मानव जाति द्वारा वर्तमान समय में पर्यावरण को हानी पहुंचाई जा रही है। जिससे मानव जीवन पर अनेकों संकट आ रहे हैं। आवश्यकता है कि हम सिख ले इस महाकाव्य से और अपने जीवन को सुखमय बनाएं। प्रस्तुत लेख ‘‘वाल्मीकि रामायण में पर्यावरणः एक अन्वेषण‘‘ पर आधारित है।
मुख्य बिंदु - पर्यावरण, रामायण, चित्रकूट, पर्वत एवं नदी, वन, जीव-जंतु, पेड़-पौधे।

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Published

31-10-2024

How to Cite

कु0 राधिका1. (2024). बाल्मीकि रामायण में पर्यावरण: एक अन्वेषण. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 3(10), 102–108. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/426

Issue

Section

Research Paper