जलवायु परिवर्तन और सतत विकास पर नीतिगत पहल
Abstract
जलवायु परिवर्तन भारत ही नहीं अपितु एक प्रमुख वैश्विक समस्या बन गई है जिससे विश्व का कोई भी देश अछूता नहीं बचा है। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से इस पृथ्वी को बचाने के लिए वैश्विक स्तर पर नीतिगत ढांचा तैयार किया गया है। दुनिया भर की सरकारें इस बात की तरफ ध्यान दे रही है कि कैसे पर्यावरणीय जोखिम को कम किया जाए और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जलवायु नीतियों का ढांचा कैसे तैयार किया जाये तथा कैसे उन नीतियों को लागू किया जाये जिससे कि जलवायु परिवर्तन से निपटा जा सके। तथा 1992 के पृथ्वी (रियो) सम्मेलन के साथ जलवायु परिवर्तन पर राजनीतिक प्रक्रिया में तेजी आयी जिसमें हरित ग्रह गैसों की वायुमंडल में सान्द्रता को कैसे स्थिर किया जाये तथा पेरिस समझौते में शामिल इस सदी के वैष्विक तापमान वृद्धि को 2 सेल्सियस से काफी नीचे रखना है। तथा तापमान वृद्धि को पूर्व औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक कैसे सीमित किया जाये। इसके लिए भारत ने भी कई नीतिगत पहल की है। तथा इन नीतियों से सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में आसानी हो। आने वाली पीढियों को भी प्राकृतिक संसाधनों का लाभ मिल सके। इस शोध पत्र में भारत द्वारा जलवायु परिवर्तन एवं सतत विकास के लिए की गई नीतिगत पहलों का वर्णन किया गया है।
मुख्य शब्द- पर्यावरणीय राजनीति, पर्यावरणीय जोखिम, सतत विकास, जलवायु परिवर्तन।
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