जलवायु परिवर्तन में जल सुरक्षा एक आवश्यकता, चुनौती एवं समाधान
Abstract
परिस्थितिक तंत्र एवं मानव समाज के लिए जल अत्यंत आवश्यक एवं महत्वपूर्ण है, किंतु बढ़ती हुई जनसंख्या एवं जलवायु परिवर्तन के कारण जल सुरक्षा की समस्या उत्पन्न हो रही है। मानवीय गतिविधियां अब भूमि एवं जल पर हावी होती जा रही है। शहरीकरण, सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन, जनसंख्या में वृद्धि, संसाधनों का विदोहन, ऊर्जा की खपत आदि ऐसे परिवर्तन है जो जल संसाधनों पर निरंतर दबाव बना रहे हैं। जल संसाधनों की उपलब्धता, गुणवत्ता एवं सुरक्षा वर्तमान में सतत् विकास का लक्ष्य एवं चुनौतियां दोनों हैं। जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणामों में सर्वाधिक वृद्धि यदि किसी संसाधन को हुई है तो वह जल ही है। किंतु अभी भी इस ओर एकीकृत दृष्टिकोण का अभाव है।
यह शोध पत्र जल संसाधन के विभिन्न आयामों का विश्लेषण करते हुए जल सुरक्षा पर केंद्रित है। जल सुरक्षा का अर्थ प्रत्येक व्यक्ति के लिए पर्याप्त सुरक्षित स्वच्छ जल की पहुंच से है, साथ ही जहां बाजार तंत्र मौजूद है वहां जल किफायती मूल्य पर उपलब्ध हो। जिससे भविष्य की पीढ़ी भी एक स्वस्थय व उत्पादक जीवन प्राप्त कर सके जल की उपलब्धता एवं गुणवत्ता मानवीय जीवन एवं पारिस्थितिक तंत्र को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है। जल संसाधन की सुरक्षा के लिए और प्रबंधन के लिए कई रणनीतियां एवं प्रौद्योगिकियों को विकसित किया गया है किंतु अभी भी एक ऐसे समग्र एकीकृत दृष्टिकोण का अभाव है जो समस्या के लिए एक स्थायी समाधान प्रस्तुत कर सके। जल सुरक्षा कोई अस्थायी समस्या नहीं है तो उसका समाधान अस्थायी कैसे हो सकता हैघ् इस शोध पत्र में जल सुरक्षा के बदलते प्रतिमानों और आयामो विश्लेषण करते हुए जल सुरक्षा चुनौतियों एवं उनके समाधानों की एक श्रृंखला को एक विस्तृत दृष्टिकोण देने का प्रयास किया गया है।
संकेत शब्द- जलवायु परिवर्तनय जल आपर्याप्तताय जल सुरक्षाय जल सुरक्षा के आर्थिक सामाजिक प्रतिमानय चुनौतियांय सतत् विकास
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