जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय मुद्दे
Abstract
जलवायु परिवर्तन से तात्पर्य किसी दिये गये क्षेत्र में औसत मौसम से होता है। इस प्रकार जब किसी क्षेत्र विशेष के औसत मौसम में परिवर्तन होता है, उसे हम जलवायु परिवर्तन कहते हैं। जलवायु परिवर्तन को किसी एक क्षेत्र विशेष में भी महसूस किया जा सकता है एवं सम्पूर्ण विश्व में भी, यदि हम वर्तमान परिदृश्य में बात करें तो इसका प्रभाव लगभग सम्पूर्ण विश्व में दृष्टिगोचर हो रहा है। जलवायु परिवर्तन सम्पूर्ण विश्व के लिए एक चुनौती बनता जा रहा है। यदि परिवर्तन पर ध्यान नहीं दिया गया तो सम्पूर्ण विश्व में एक वैश्विक संकट उत्पन्न हो सकता है।
जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न संकटो के बारे में बात करें तो पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होने से हिमनद पिघल रहे हैं और महासागरों का जल स्तर बढता ही रहा है। परिणाम स्वरूप प्राकृतिक आपदाओं और कुछ द्वीपों के डूबने का खतरा बढ़ता जा रहा है। चारो तरफ ग्रीन हाउस की परत बनी हुई है। इस परत में मीथेन नाइट्रस ऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसें शामिल हैं। ग्रीन हाउस गैसों की यह परत पृथ्वी की सतह पर तापमान संतुलन को बनाए रखने में आवश्यक है, और विद्वानों के अनुसार यदि यह परत नहीं होगी तो पृथ्वी का तापमान काफी कम हो जाएगा।
आधुनिक परिदृश्य में मानवीय गतिविधियां जैसे बढ़ रही हैं वैसे वैसे ग्रीन हाउस के उत्सर्जन में वृद्धि हो रही है, और फलस्वरूप वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है। जिसके संबंध में अथवा जिसको रोकने हेतु कुछ वैश्विक प्रयास किया जा रहे हैं। प्च्ब्ब्ए न्छथ्ब्ब्ब्ए न्छम्च् जैसी अंतरराष्ट्रीय संगठन वैश्विक पर्यावरण हेतु कार्य कर रहे हैं।
कूट शब्द - जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, प्रदुषण, पर्यावरण, तापमान, जीवाश्म ईंधन
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