जलवायु परिवर्तन का मानव के स्वास्थ्य पर प्रभाव
Abstract
विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के कारण दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियों पर अभूतपूर्व असर हुआ है जिससे ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में गिरावट आने की संभावना जताई गई है। संयुक्त राष्ट्र की मौसम विज्ञान एजेंसी ;ॅडव्द्ध ने सचेत किया है कि सामान्य जीवन के फिर शुरू होने के बाद कार्बन उत्सर्जन में फिर से तेज़ी आने की संभावना हैं। जलवायु परिवर्तन परस्पर संबंधित घटनाओं की एक व्यापक श्रृंखला के माध्यम से, कई सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए जोखिम पैदा करता है। ये मौजूदा असमानताओं को मजबूत करने या बिगाड़ने में योगदान दे सकते हैं। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन के दुष्चक्र को कायम रखने का खतरा पैदा करता है। ब्व्टप्क्.19 का प्रभाव के दृष्टिकांण को देखते हुए इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट सोसाइटीज़ के अनुसार, 2020 में जलवायु-संबंधी आपदाओं (बाढ़, सूखा और तूफान) और कोविड-19 महामारी से 50 मिलियन से अधिक लोगों पर दोहरी मार पड़ी। इससे खाद्य असुरक्षा बदतर हो गई और उच्च प्रभाव वाली घटनाओं से संबंधित निकासी, पुनर्प्राप्ति और राहत कार्यों में जोखिम की एक और परत जुड़ गई। कोविड-19 महामारी के प्रभाव से जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि और खाद्य प्रणालियों को पंगु बना दिया, विकास पथ को उलट दिया और आर्थिक विकास को अवरुद्ध कर दिया। 2020 में, महामारी ने स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान के साथ सीधे खाद्य आपूर्ति और मांग को प्रभावित किया, जिससे कृषि उत्पादकता को बनाए रखने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कृषि इनपुट, संसाधनों और सेवाओं तक पहुंच से समझौता हुआ। एफएओ के अनुसार, जलवायु संबंधी आपदाओं के कारण आवाजाही पर लगे प्रतिबंधों के परिणामस्वरूप, दुनिया भर में खाद्य असुरक्षा के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियाँ सामने आईं। जिससे मनुष्यों के स्वास्थ्य पर इसका गम्भीर प्रीााव हुआ हैं आज तक मनुष्यों के फेफड़ों,ष्वॉस एवं हडिडयों में समस्या बनी रहती है।
महत्वपूर्ण शब्द: जलवायु परिवर्तन, वैश्विक स्वास्थ्य, ग्रीनहाउस गैस, कोविड-19
Additional Files
Published
How to Cite
Issue
Section
License
Copyright (c) 2024 www.ijarps,org

This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License.