पर्यावरण सम्बन्धी मुद्दों पर भारत की प्रतिक्रिया

Authors

  • डा0 अरविन्द सिंह यादव1

Abstract

पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है पऱिआवरण ’परि’ का अर्थ चारों ओर से तथा आवरण का अर्थ ढका हुआ या घेरे हुए परिस्थितियाँ जो मनुष्य और अन्य जीवों को चारों ओर से घेरती है पर्यावरण कहलाती है प्रकृति पर्यावरण के विनाश द्वारा मनुष्य मात्रहन्ता हो गया है एक प्रकार से उसने प्रथ्वी माता को मार डाला है न्यायाधीश अरिजीत पशायत के अनुसार यह स्वयं सिद्ध है कि मनुष्य प्रकृति का भाग है और जीवन प्राकृतिक प्रणाली को अवरोध रहित कार्यकरण पर निर्भर रहता है।
गोस्वामी तुलसीदास जी कहते है जो राम चरित मानस में लिपिबद्ध पर्यावरण से जुडा तथ्य है - छिति जलपावक गगन समीरा ,पंचरचित अति अधम शरीरा अर्थात पर्यावरण में सभी भैतिक तत्व और जीव सम्मिलित होते है जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उसकी जीवन क्रियाओं को प्रभावित करते है।
पर्यावरण के मुद्दे पर न्छ के तत्वाधान में सन् 1972 में 3-16 जून (स्टाकहोम) स्वीडन में सम्मेलन आयोजित किया गया जिसको स्टाकहोम पर्यावरण तथा विकास सम्मेलन 1972 के नाम से जाना गया एवं उसके बाद अन्य सम्मेलन 1982 नैरोबी घोषणा पत्र ,प्रकृति के लिए विश्व अभिलेख -1980 अर्थ समिट(रियो डिजिनेरियो-1992) आदि ।
व्नत बवउउवद निजनतम ( हमारा साझा भविष्य ) ने पर्यावरण की खराब दशा को खूब दर्शाया है और अवनतिशील पर्यावरण को सुधारने के लिए कई सुझाव भी दिए। भारत ने जो इन अंतर्राष्ट्रीय घोयाणयों में सहभागी था इस समस्या को रोकने के लिए महत्वपूर्ण विधायी और कार्यपालिक कदम उठाया है ग्रीनपीस:- जैसे अन्त0 पर्यावरण संगठन के रूप में ग्रीनपीस की स्थापना 1971 में कनाडा में हुयी उसका प्रमुख उद्देश्य विश्व के राष्ट्रों की ऐसी सरकारी एवं आ़द्योगिक नीतियो को प्रकाश में लाना तथा उनमें परिवर्तन करना है। जो पृथ्वी पर पर्यावरण एवं प्रकृति के प्रति चुनौती पेश करती है प्रकृति के लिए विश्व व्यापी कोष की अधिकारिक रूप से स्थापना ज्यूरिक (स्विजरलैण्ड) में एक चैरिटी के रूप में 11.09.1961 को की गई यह संगठन प्राकृतिक संरक्षण के क्षेत्र में सर्वाधिक अनुभवी संगठन है।
शब्दकुँजी -प् ार्यावरण, भारत, ग्रीनपीस, स्टाकहोम, पृथ्वी सम्मेलन, तुलसीदास

 

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Published

30-11-2024

How to Cite

डा0 अरविन्द सिंह यादव1. (2024). पर्यावरण सम्बन्धी मुद्दों पर भारत की प्रतिक्रिया. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 3(11), 225–234. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/486

Issue

Section

Research Paper