पर्यावरणीय मुद्दों का शिक्षा और आर्थिक विकास पर प्रभाव
Abstract
पर्यावरणीय मुद्दे 21वीं सदी की सबसे महत्त्वपूर्ण चुनौतियां में से एक के रूप में उभरता हुआ हैं या शोध पत्र जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और जैव विविधता के नुकसान, वनो की कटाई, संसाधनों की कमी, भूमि का क्षरण जैसे पर्यावरण सिद्धांत की शिक्षा और आर्थिक विकास पर बहु आयामी प्रभाव का अन्वेषण करता है इन क्षेत्रों के बीच अंतर संबंधों का विश्लेषण करते हुए यह पत्र पाठ्यक्रम में पर्यावरण शिक्षा को शामिल करने और आगे विकास को बढ़ावा देने के लिए स्थाई प्रभाव को अपनाने की आवश्यकता को उजागर करता है। पर्यावरण शिक्षा का मूल उद्देश्य मानव पर्यावरण के अंतर संबंधों के व्याख्या करना तथा उन संपूर्ण घटनाओं का विवेचन करना है जो पृथ्वी पर जीवन को परिचालित करते हैं इसमें मात्र मानव जीवन ही नहीं अपितु जीव जंतु अवं वनस्पति भी सम्मिलत है। मानव, तकनीकी विकास एवं पर्यावरण के अंतर संबंधों से जो पारिस्थितिक चक्र बनता है वह संपूर्ण क्रियाकलापों और विकास को नियंत्रित करता है यदि इनमें संतुलन रहता है तो सब कुछ समान गति से चलता रहता है लेकिन अगर इनमें व्यतिक्रम आता है तो पर्यावरण विकृत होने लगता है और इसका हानिकारक प्रभाव न केवल जीव जगत के घटकों पर भी होता है और पूरी मानव सभ्यता खतरे में पड़ सकते है। अतः हमे पर्यावरण शिक्षा के बारे मे जानकारी होना और छात्रों तक उसकी पहुंच सुलभ करवाना अति आवयशक है। जिससे देश के लोग शिक्षित होने क साथ साथ आर्थिक विकास मे भी मद्द करे।
कुंजी शब्द - पर्यावरणीय मुद्दे, शिक्षा, आर्थिक विकास
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