डॉ. नामवर सिंह की दृष्टि में कामायनी: एक मूल्यांकन
Abstract
डॉ. नामवर सिंह हिंदी की प्रगतिवादी समीक्षा के आधार स्तंभ हैं। घोषित रूप में प्रगतिवादी, यथार्थवादी और मार्क्सवादी कहे जाने वाले डॉ. नामवर सिंह द्वारा अपने समीक्षा कर्म का आरंभ छायावाद से करना उनकी छायावादी काव्य में स्वाभाविक रुचि को प्रदर्शित करता है। उनका मानना है कि कामायनी में चित्रित समस्या आधुनिक जीवन की है। उनके अनुसार कामायनी में चित्रित आधुनिक जीवन की समस्याएँ प्रत्यक्ष रूप में इसलिए दिखाई नहीं पड़तीं क्योंकि प्रसाद ने उनके ऊपर रहस्यवाद का आवरण डाल रखा है। इसलिए उनका मानना है कि कामायनी के प्रतीकों को समझने के लिए उन्हें रहस्यवादी आवरण और दार्शनिकता की छाया से मुक्त करना होगा। उनके अनुसार कामायनी में मनु, श्रद्धा, इड़ा और मानव इत्यादि प्रतीक चरित्र तो हैं ही साथ ही यहाँ देव सभ्यता, सारस्वत नगर ,हिमालय, कैलाश, प्रलय ,संघर्ष तथा काम इत्यादि भी प्रतीकों की तरह ही प्रयुक्त हुए हैं। डॉ. नामवर सिंह ने कामायनी के मनु को आधुनिक नवजागरण का प्रतीक माना है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि उन्होने मात्र कामायनी के पात्रों ,घटनाओं एवं उसकी कथा में निहित प्रतीकात्मकता को ही स्पष्ट नहीं किया है बल्कि उन्होंने विभिन्न स्थितियों और अवस्थाओं पर सूक्ष्मता से विचार करते हुए उनकी प्रतीकात्मकता को भी स्पष्ट किया है।
बीज शब्द- प्रगतिवादी समीक्षा, साम्यवाद, समाजवादी जीवन दृष्टि, रूपक काव्य, आधुनिक नवजागरण, कर्मकांड, गांधीवाद
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