महिला सशक्तिकरण की दृष्टि (विजन फार विकसित भारत) पश्चिमी नारीवाद एवं भारतीय स्त्रीत्व: तुलनात्मक अध्ययन
Abstract
नारीवाद पूर्णतः प्राकृतिक है जो कि सामाजिक परिवेश में अवधारणाओं से प्रेरित व प्रभावित होता है। यह एक संघर्ष आन्दोलन के रूप में यह प्रयास करता है कि महिलाओं को भी समान मनुष्य माना जाए और उनकी गरिमा स्वतंत्रता समानता, जैविक आधार पर न होकर उनके व्यक्ति स्वरूप में हो। नारीवादी संघर्ष/विमर्श मात्र इसलिए कि समाज में नर नारी से परे व्यक्तिवादी विचारधारा सर्वव्यापी हो। समाज में नारीवादी विचारधारा का उठना इस बात का प्रमाण है। समाज में भिन्न लिंगी प्राणियों यथा नर-मादा के प्रति सम दृष्टिकोण का अभाव है। जो प्राणी कमतर महसूस करता अथवा सार्वभौमिक रूप में जिसे कमतर एहसास करवाया जाता है। कालांतर में वह शनेः-शनेः मुखर हो अपने आत्मसम्मान की चाहत में उग्रता की ओर कदम बढ़ाने ही लगता है।
शब्द संक्षेप- महिला सशक्तिकरण, विजन फार विकसित भारत, पश्चिमी नारीवाद, भारतीय स्त्रीत्व
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