भारत में पर्यावरणीय आंदोलन और मुद्देः विश्लेषणात्मक अध्ययन

Authors

  • सुमित कुमार1, प्रो० प्रीति पाठक2

Abstract

पर्यावरण आंदोलन एक प्रकार से देखा जाए तो सामाजिक आंदोलन है, जिसमें मनुष्य, समूह और गठबंधनों का समूह शामिल होते हैं। जो पर्यावरण संरक्षण में अपना सामूहिक हित समझते हैं और व्यक्ति पर्यावरण नीतियों और प्रथाओं में बदलाव के लिए कार्य करते है। भारत में पर्यावरण आंदोलन की उत्पत्ति 20वीं सदी की शुरुआत में देखी जाती है, जब ब्रिटिश व्यक्तियों द्वारा औपनिवेशिक काल के दौरान वन संसाधनों की व्यावसायिकरण के खिलाफ आंदोलन किया गया था। भारत में औद्योगीकरण, शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि के कारण पर्यावरण में दबाव बढ़ा,जिसके परिणाम स्वरुप वायु, जल और भूमि प्रदूषण जैसी गंभीर समस्याएं उत्पपर्यावरण आंदोलन एक प्रकार से देखा जाए तो सामाजिक आंदोलन हैं,जिसमें मनुन्न हुई हैं। पर्यावरण आंदोलन किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है। इसमें मुख्य रूप से बिश्नोई आंदोलन, चिपको आंदोलन, साइलेंट वैली बचाओ आंदोलन, जंगल बचाओ आन्दोलन आदि शामिल है। और कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण भोजन और पानी की कमी, अपशिष्ट प्रबंधन, जैव विविधता हानि आदि शामिल है।
इस प्रकार इन आंदोलनों और मुद्दों या समस्याओं के समाधान के लिए भारत सरकार ने कई नीतियां और योजनाएं शुरू किया। जैसे पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, राष्ट्रीय हरित अधिकरण और स्वच्छ भारत अभियान आदि। इन सभी ने भारत में पर्यावरणीय जागरूकता को बढ़ावा दिया है लेकिन पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है। तथा इस शोध पत्र में मुख्य रूप से पर्यावरण आंदोलन और पर्यावरणीय मुद्दों का अध्ययन किया गया है।
मुख्य शब्दः पर्यावरण आंदोलन, पर्यावरण मुद्दे और लोग

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Published

28-01-2025

How to Cite

सुमित कुमार1, प्रो० प्रीति पाठक2. (2025). भारत में पर्यावरणीय आंदोलन और मुद्देः विश्लेषणात्मक अध्ययन. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 4(01), 83–88. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/560

Issue

Section

Research Paper