जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक दृष्टिकोण और मिशन लाइफ
Abstract
संपूर्ण विश्व के देशों के मध्य विकसित देश बनने की होड़ मची है और विकसित देश होने का तात्पर्य है उपभोग को जीवन शैली प्राप्त करना। विश्व के देशों के मध्य अति उपभोग के जीवन शैली अपनाने की अंधाधुंध प्रतियोगिता ने पर्यावरण क्षरण को जन्म दिया है। मानव जनित इस पर्यावरण क्षरण को रोकना वर्तमान में वैश्विक प्राथमिकता के रूप में उभरा है। इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, वैश्विक संस्थाएँ, पर्यावरण विशेषज्ञ और बहुत सारे गैर सरकारी संगठन दुनिया भर के देशों से जलवायु संरक्षण व संपोषणीय विकास को बढ़ावा देने में अपनी भूमिका के निर्वहन का आह्वान कर रहे हैं। इन परिस्थितियों मे यह आवश्यक हो गया है कि जलवायु परिवर्तन के संबंध में वर्तमान वैश्विक दृष्टिकोण की समीक्षा की जाए और यह जानने का प्रयास किया जाए कि क्या जलवायु परिवर्तन के संबंध में विश्व द्वारा अब तक अपनाई गई रणनीति इष्टतम तथा सभी के हित में है? या फिर वर्तमान वैश्विक रणनीति में अंतर्निहित असंगति के कारण अस्तित्व के प्रमुख सिद्धांतों पर केंद्रित एक पूरक लेकिन अधिक संपोषणीय रणनीति की आवश्यकता है जो कि दुनिया की सभी प्राचीन संस्कृतियों के लोकाचार मे पायी जाती है।
मुख्य शब्द - संपोषणीयता, जलवायु शमन, जीवाश्म ईंधन, जीवन चक्र लागत, हरित ऊर्जा, शून्य उत्सर्जन, फ़ीड उद्योग, मिशन ’लाइफ’ (स्पथ्म्), प्रो-प्लेनेट पीपल।
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