समसामयिक प्रासंगिकता की दृष्टिकोण से महात्मा गांधी व डॉ० बी० आर० अम्बेडकर की शिक्षाओं का विश्लेषात्मक अध्ययन।

Authors

  • डॉ. शिव भोले नाथ श्रीवास्तव1 , मनीषा साहू2

Abstract

यह शोध पत्र गांधी के और अम्बेडकर के अस्पृश्यता पर आधारित प्रवचनो ं और उनके लेखन और राजनीतिक प्रथाओ ं मे ं उनके द्वारा प्रतिपादित अनुकरणीय सामाजिक परियोजनाओ ं का विश्लेषण करके मानवीय गरिमा के विचार की व्याख्या करना चाहता है। अभिसरण और शब्दावलियां उनके साझा उद्यम मे ं स्पष्ट है ं कि आत्म-सम्मान, सामाजिक मान्यता और सम्मान की बहुवचन जीवित दुनिया को संस्थागत रूप देने के लिए अपमानित करता है। उन्हो ंने अपने तरीके से मानवीय गरिमा को बनाए रखने के लिए सामाजिक रूप से पदानुक्रमित और अपमानजनक सामाजिक व्यवस्था को हल करने की कोशिश की।
भारत में, हमारी क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर पहचान के आधार पर दिन-प्रतिदिन की जातिगत हिंसा और उत्पीड़न अक्सर मानव स्वतंत्रता को नष्ट कर देते है ं और मनुष्य के समान सम्मान को अस्वीकार करते है ं। आधुनिक भारत के इन दो संस्थापक पिताओ ं ने इन सामाजिक बुराइयो ं के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी और एक दूसरे का सम्मान करने और सामाजिक मान्यता के लिए खुले स्थान पर अपमानजनक प्रथाओ ं का विरोध करने के लिए व्यक्तिगत परिवर्तन करके मानवीय गरिमा को बचाने की पूरी कोशिश की।
मूल शब्दः गांधी दृष्टिकोण, अम्बेडकर दृष्टिकोण, हिन्दू समाज, सामाजिक विचारधारा, भारतीय राजव्यवस्था
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Published

30-04-2025

How to Cite

डॉ. शिव भोले नाथ श्रीवास्तव1 , मनीषा साहू2. (2025). समसामयिक प्रासंगिकता की दृष्टिकोण से महात्मा गांधी व डॉ० बी० आर० अम्बेडकर की शिक्षाओं का विश्लेषात्मक अध्ययन।. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 4(04), 127–133. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/680

Issue

Section

Research Paper