उच्च शिक्षा में शैक्षिक नवाचार की आवश्यकता

Authors

  • डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर

Abstract

आज जब तकनीकी बहुत तेजी से परिवर्तित हो रही है, शिक्षा व्यवस्था में भी लगातार आमूल-चूल परिवर्तन हो रहे, ऐसे में शैक्षिक नवाचार पर बहुत गंभीरता से कार्य करने की आवश्यकता है। शिक्षा की विकासोन्मुख प्रक्रिया को प्रदर्शित करने वाली अवधारणा का नाम ही शैक्षिक नवाचार है। नवाचार शब्द का प्रयोग वैज्ञानिक युग में शैक्षिक तकनीकी के प्रावधानों के चलते और अधिक बढ़ गया है। शिक्षा के प्रचलित व्यवहारों के अन्तर्गत सम्मिलित सभी तरह के चिंतन, प्रक्रिया के साथ-साथ नवाचार के द्वारा शैक्षिक तकनीकी के रूप में शिक्षा दर्शन, मनोविज्ञान और विज्ञान आदि के समस्त बिन्दुओं को सम्मिलित करना है।
एक शिक्षक अपने विद्यार्थियों की क्षमता और उनके कौशल के बारे में बहुत नजदीक से परिचित होता है, ऐसे में वह शैक्षिक नवाचार के द्वारा उनके भीतर अनेकानेक संभावनाओं को विकसित कर सकता है। शिक्षा व्यवस्था में नवाचार जैसी स्थिति उसी समय जन्म ले सकती है, विकसित हो सकती है जबकि उसके प्रति स्वतंत्र ढंग से विचार किया जाये। किताबी ज्ञान देना, नोट्स बनवाना, सूत्रबद्ध परीक्षा प्रणाली के उसी बंधे-बंधाये ढर्रे पर चलते रहने से नवाचार के लिए बहुत कम स्थान मिल पाता है। प्रस्तुत आलेख उच्च शिक्षा क्षेत्र में नवाचार के सन्दर्भ में है।
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Published

30-04-2025

How to Cite

डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर. (2025). उच्च शिक्षा में शैक्षिक नवाचार की आवश्यकता. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 4(04), 145–150. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/683

Issue

Section

Research Paper