21वीं सदी में भारतीय उच्च शिक्षाः एक विहंगम दृष्टि

Authors

  • डॉ. सीमा मिश्रा

Abstract

उच्च शिक्षा समाज में विकास एवं परिवर्तन के लिए एक प्रमुख उपकरण है उच्च शिक्षा की भूमिका किसी भी देश के वैज्ञानिक विकास नए-नए आविष्कारों एवं सत्य की खोज के लिए महत्वपूर्ण है। वर्तमान में भारतीय उच्च शिक्षा का विस्तार तो हुआ है परंतु आज भी समग्र रूप में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनेक विसंगतियां विद्यमान है। उच्च शिक्षा जिसका लक्ष्य उच्च बौद्धिक वर्ग की स्थापना है आज बाजार का उत्पाद बनती जा रही है। उच्च शिक्षा का लगातार बढ़ता निजीकरण, निर्धारित मानकों की अनदेखी, राजनीतिक हस्तक्षेप, छात्रों एवं अभिभावकों का उच्च शिक्षा के प्रति बदलता दृष्टिकोण, आदि उच्च शिक्षा का अंश बन चुके हैं।
वर्तमान में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता एक सबसे बड़ी चुनौती है निःसंदेह यह गर्व की बात है कि भारत में उच्च शिक्षा के लिए विश्वविद्यालयों महाविद्यालयों एवं छात्रों की संख्या में प्रतिवर्ष वृद्धि ही रही है परंतु यह प्रश्न भी उतना ही अधिक विचारणीय है कि क्या इतनी बड़ी व्यवस्था के बाद भी हम उच्च शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त कर पाए हैं इस विषय पर गहन चर्चा की आवश्यकता है।
संकेत कुंजी- गुणवत्ता, मानक, विकास, परिवर्तन, सत्य की खोज, निजीकरण,

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Published

26-05-2025

How to Cite

डॉ. सीमा मिश्रा. (2025). 21वीं सदी में भारतीय उच्च शिक्षाः एक विहंगम दृष्टि. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 4(5), 5–10. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/720

Issue

Section

Research Paper