भारतीय समाज एवं उच्च शिक्षा: एक विश्लेषणात्मक अध्ययन
Abstract
इतिहास का अध्ययन एक तार्किक कालक्रमानुसार ही किया जाता है और यही नियम भारतीय शिक्षा प्रणाली को समझने के क्रम में रखना आवश्यक है। हमारे देश की शिक्षा प्रणाली का गौरवमयी इतिहास रहा है साथ ही यह अति प्राचीन है। सामान्यतः इसे हमें तीन भागों में विभाजित करना चाहिए- प्राचीन काल, मध्यकाल एवं आधुनिक काल। प्राचीन काल से वर्तमान युग तक भारतीय शिक्षा प्रणाली की यात्रा को समझे बगैर हम इसके महत्व को नहीं समझ सकते।
प्राचीन काल (वैदिक, बौद्धकाल) की शिक्षा प्रणाली के अध्ययन में- संगठन व संरचना, उद्देश्य, शिक्षण विधियाँ, पाठ्यक्रम, शिक्षार्थी, अनुशासन, शिक्षक, विधियाँ, प्रशासन वित्त एवं शिक्षा के अन्य पक्ष सम्मिलित हैं। इसी प्रकार मुगल काल एवं आधुनिक काल का भी क्रमवार अध्ययन अपने इस लेख में हम करेंगे। शिक्षा के क्षेत्र में सर्वाधिक प्रयोग, संभावनायें, विकास, नवीन प्रयोग, नीतियाँ, आयोग व समितियां, सुझाव इत्यादि के अध्ययन को विशेष तार्किक क्रम में प्रस्तुत किया गया है- यथा पूर्व प्राथमिक शिक्षा, प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च शिक्षा, व्यावसायिक व तकनीकी शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा, शिक्षक शिक्षा एवं स्त्री शिक्षा आदि।
प्रस्तुत लेख में वर्णन किया गया है कि जहाँ प्राचीन बौद्धिक परम्परा किस प्रकार अन्वेषण, जिज्ञासा व परीक्षण की भाषा से परिपूर्ण थी एवं कैसे आज भी यह देश के गौरव व सांस्कृतिक गौरव की भावना को जीवंत किए हुए हैं। हम यहाँ भारत सरकार के सरकारी आंकड़ों का प्रयोग विश्लेषणात्मक अध्ययन हेतु करेंगे। प्रस्तुत लेख में आधुनिक शिक्षा में हो रहे परिवर्तन एवं समस्याओं का भी जिक्र किया गया है, साथ ही आधुनिक शिक्षा में तकनीक कितनी मददगार है जो हमारे बच्चों, युवाओं, वयस्कों एवं प्रौढ़ों को लाभान्वित कर रही है क्योंकि शिक्षा उम्र की मोहताज नहीं है।
हाल ही में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा अक्टूबर 2020 में, भारतीय ज्ञान प्रणाली (आई के एस) नामक प्रभाग की स्थापना की गयी है जिसका उद्देश्य भारतीय ज्ञान प्रणालियों को संरक्षित करके बढ़ावा देना है। इन प्रयासों द्वारा हमारी संस्कृति ने एक बार पुनः भारतीय परम्परा पर गौरवान्वित होने का अवसर प्रदान किया है। उच्च शिक्षण संस्थानों (आई आई टी) में नवाचार एवं अनुसंधान हेतु भारतीय ज्ञान प्रणालियों को प्रोत्साहित करते हुए उत्कृष्टता केन्द्रों की स्थापना की गयी है जिसका उद्देश्य है पारम्परिक ज्ञान को नवीन शिक्षा प्रणाली में प्रयोग करके शिक्षा को समाज हेतु अधिक उपयोगी बनाना।
मुख्य शब्द-इतिहास, तार्किक क्रम, शिक्षा प्रणाली, आधुनिक शिक्षा, भारतीय ज्ञान प्रणाली, अनुसन्धान।
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