जातिवाद और अम्बेडकर के विचार

Authors

  • डॉ0 लक्ष्मीना भारती एवं संजना यादव

Abstract

भारतीय समाज की संरचना में जातिवाद एक दीर्घकालिक सामाजिक बुराई के रूप में मौजूद रहा है, जिसने सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक असमानताओं को जन्म दिया। डॉ. भीमराव अंबेडकर ने जातिवाद के विरुद्ध तीव्र और तर्कपूर्ण विरोध दर्ज कराते हुए सामाजिक न्याय, समानता और मानव अधिकारों की स्थापना के लिए आजीवन संघर्ष किया। इस शोधपत्र में अंबेडकर के जाति व्यवस्था पर विचार, ब्राह्मणवाद की आलोचना, छुआछूत और दलित अधिकारों से जुड़ी उनकी वैचारिक दृष्टि का विश्लेषण किया गया है। यह शोध पत्र अंबेडकर के सामाजिक दर्शन को समकालीन संदर्भों में पुनर्परिभाषित करने का प्रयास करता है।
मुख्य शब्द:- भारतीय समाज, अनुच्छेद, सामाजिक न्याय, दलित, भारतीय संविधान, समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व, जाति व्यवस्था, वर्तमान परिवर्तन, संघर्ष, सामाजिक स्थिति।

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Published

30-06-2025

How to Cite

डॉ0 लक्ष्मीना भारती एवं संजना यादव. (2025). जातिवाद और अम्बेडकर के विचार. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 4(06), 148–153. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/828

Issue

Section

Research Paper