दक्षिण एशिया में परमाणु शस्त्रीकरण- प्रवृत्तियाँ, चुनौतियाँ और रणनीतियाँ

Authors

  • डा0 अंशूबाला

Abstract

दक्षिण एशिया परमाणु शस्त्रीकरण की दृष्टि से एक अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र बन चुका है। भारत, पाकिस्तान तथा चीन जैसे परमाणु संपन्न राष्ट्रों की आपसी प्रतिस्पर्धा एवं सुरक्षा चिंताओं ने इस क्षेत्र को वैश्विक सामरिक रणनीतियों के केंद्र में ला दिया है। यह शोध पत्र दक्षिण एशिया में परमाणु शस्त्रीकरण की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, वर्तमान प्रवृत्तियाँ, तकनीकी उन्नयन, भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा, और सुरक्षा से जुड़े संकटों का विश्लेषण करता है। साथ ही यह परमाणु हथियारों के प्रसार, आतंकवाद और अपर्याप्त नियंत्रण व्यवस्थाओं से उत्पन्न खतरों पर भी प्रकाश डालता है। भारत और पाकिस्तान के बीच निरंतर तनाव, पारंपरिक युद्ध की आशंका, तथा चीन की रणनीतिक विस्तारवादी नीति इस क्षेत्र की स्थिरता को प्रभावित कर रही है। इस अध्ययन में यह भी विवेचना की गई है कि क्षेत्रीय शांति बनाए रखने हेतु किस प्रकार की कूटनीतिक पहलों, नियंत्रण तंत्रों तथा शस्त्र नियंत्रण संधियों की आवश्यकता है। अंततः, इस शोध के माध्यम से दक्षिण एशिया में परमाणु शस्त्रीकरण की प्रवृत्तियों की पहचान कर, टिकाऊ शांति एवं सामरिक स्थिरता हेतु उपयुक्त रणनीतियाँ प्रस्तुत की गई हैं।
मुख्य शब्द- दक्षिण एशिया, परमाणु शस्त्रीकरण, भारत-पाक संबंध, परमाणु नीति, क्षेत्रीय सुरक्षा, सामरिक संतुलन, अप्रसार संधियाँ, चीन की भूमिका, परमाणु रणनीति, कूटनीतिक समाधान

Additional Files

Published

31-05-2024

How to Cite

डा0 अंशूबाला. (2024). दक्षिण एशिया में परमाणु शस्त्रीकरण- प्रवृत्तियाँ, चुनौतियाँ और रणनीतियाँ. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 3(05), 48–63. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/847

Issue

Section

Research Paper