ग्रामीण विकास में ग्राम पंचायत की भूमिका: उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के विशेष संदर्भ में एक अध्ययन
Abstract
भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पंचायती राज संस्थाओं को ग्रामीण विकास का प्रमुख साधन माना गया है। केंद्र और राज्य सरकारों की विभिन्न योजनाओं और समितियों ने भी इन संस्थाओं के महत्व को विशेष रूप से रेखांकित किया है। पंचायती राज संस्थाओं का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों का सतत और समावेशी विकास करना है। इसके माध्यम से ग्रामीण जनता को विकास कार्यों में सक्रिय भागीदारी का अवसर दिया जाता है, ताकि उनकी जीवनशैली में सुधार हो सके। ग्राम पंचायतें ग्रामीण अवसंरचना के निर्माण, गरीबों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने और सामाजिक-आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन संस्थाओं के उत्तरदायी और प्रभावी संचालन से कृषि उत्पादन, आर्थिक गतिविधियों, संसाधनों की उपलब्धता और सेवा प्रदायगी में सुधार होता है, जिससे ग्रामीण जीवन स्तर में व्यापक वृद्धि होती है। विभाग निरंतर प्रयासरत है कि विकेंद्रीकृत शासन व्यवस्था के माध्यम से ग्रामीण जनजीवन में आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता लाई जा सकती है।
मूल शब्दः ग्राम पंचायत, ग्रामीण विकास, ब्लॉक, बांदा, गांव, जनसंख्या
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