उत्तर- प्रदेश की राजनीति में पिछड़े वर्गों की भागीदारी

Authors

  • डॉ0 राजबहादुर मौर्य

Abstract

उत्तर प्रदेश की राजनीति में पिछड़े वर्गों की भागीदारी भारतीय लोकतंत्र के सामाजिक न्याय, समानता और राजनीतिक सशक्तिकरण के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण विषय है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही राज्य की राजनीति में पिछड़े वर्गों की राजनीतिक उपस्थिति सीमित रही, किंतु मंडल आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन, आरक्षण नीतियों और सामाजिक आंदोलनों के प्रभाव से इन वर्गों की राजनीतिक भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। विशेष रूप से 1990 के दशक के बाद, समाजवादी, बहुजन और क्षेत्रीय दलों ने पिछड़े वर्गों के मुद्दों को प्राथमिकता दी, जिसके परिणामस्वरूप विधान सभा और लोकसभा में उनकी प्रतिनिधित्व क्षमता बढ़ी। वर्तमान समय में, पिछड़े वर्ग केवल मतदाता समूह के रूप में ही नहीं, बल्कि नीति-निर्धारक और सत्ता-साझेदार के रूप में भी प्रभावशाली भूमिका निभा रहे हैं। यह शोधपत्र उत्तर प्रदेश की राजनीति में पिछड़े वर्गों की भागीदारी के ऐतिहासिक विकास, प्रमुख कारणों, चुनौतियों और भविष्य की संभावनाओं का विश्लेषण करता है।
मुख्य शब्द- उत्तर प्रदेश, राजनीति, पिछड़ा वर्ग, आरक्षण नीति, मंडल आयोग, सामाजिक न्याय, राजनीतिक सशक्तिकरण, प्रतिनिधित्व क्षमता

Additional Files

Published

31-07-2025

How to Cite

डॉ0 राजबहादुर मौर्य. (2025). उत्तर- प्रदेश की राजनीति में पिछड़े वर्गों की भागीदारी. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 4(07), 118–125. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/871

Issue

Section

Research Paper