भारत में कामकाजी महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति: समस्या व समाधान

Authors

  • ज्योती वर्मा

Abstract

भारत में महिलाओं का इतिहास हमेशा से उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। कुछ समय में महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन कई युगों में उन्हें आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। भारत में महिलाओं के लिए आजीविका का काम करना चुनौतीपूर्ण होता है। नारीवादी विचारकों के अनुसार, परिवार में स्त्री और पुरुष समान होते हैं, लेकिन कार्य विभाजन में लैंगिक असमानताएँ और सामाजिक बाधाएँ होती हैं। अलग-अलग हिस्सों में महिलाओं की भागीदारी दर भिन्न है। असंगठित क्षेत्रों में महिलाएं अधिक संख्या में काम कर रही हैं। भारत की श्रमशक्ति में महिलाएं एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन वे पुरुषों की तुलना में रोजगार और गुणवत्ता के मामले में पीछे हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, महिला श्रमिकों की संख्या कुल महिलाओं का 25.6 प्रतिशत है। अधिकांश महिला श्रमिक ग्रामीण क्षेत्रों में रहती हैं, जहां 87 प्रतिशत खेतिहर मजदूर हैं। शहरी क्षेत्रों में, महिलाएं घरेलू उद्योग, छोटे व्यवसाय और भवन निर्माण जैसे काम कर रही हैं। सरकार की नीतियों का मुख्य उद्देश्य महिला श्रमिकों की समस्याओं को दूर करना, वेतन और कार्य स्थिति में सुधार लाना, और उन्हें बेहतर रोजगार के अवसर प्रदान करना है।
मुख्य शब्द -समाज, पितृसत्तात्मक, महिलाओं, सामाजिक, आर्थिक, रोजगार, श्रमिक कामकाजी महिलाए, महिला सशक्तिकरण, समाज, कार्यस्थल।

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Published

31-07-2025

How to Cite

ज्योती वर्मा. (2025). भारत में कामकाजी महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति: समस्या व समाधान. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 4(07), 139–144. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/874

Issue

Section

Research Paper