हिंदी उपन्यासों में भारतीय ज्ञान परंपरा : एक अध्ययन
Abstract
भारतीय ज्ञान परंपरा विश्व की प्राचीनतम एवं सतत प्रवाहमान परंपराओं में से एक है, जिसका आधार धर्म, दर्शन, साहित्य, इतिहास, संस्कृति और लोकजीवन की अनुभूतियों में निहित है। हिंदी उपन्यासों ने न केवल इस ज्ञान परंपरा को संरक्षित किया है, बल्कि इसे आधुनिक संदर्भों में पुनर्परिभाषित भी किया है। प्रेमचन्द, वृन्दावनलाल वर्मा, अमृतलाल नागर, फणीश्वरनाथ रेणु, और यशपाल जैसे उपन्यासकारों के साहित्य में वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत, बौद्ध-जैन परंपरा, भक्ति-संत परंपरा और लोककथाओं आदि के मूल्ययवान तत्वों की गहन छाप मिलती है। यह शोध पत्र हिंदी उपन्यासों में भारतीय ज्ञान परंपरा के विभिन्न आयामों,यथा-दार्शनिक, नैतिक, सामाजिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक आदि का विश्लेषण प्रस्तुत करता है।
मुख्य शब्द : भारतीय ज्ञान परंपरा, हिंदी उपन्यास, वैदिक परंपरा, बौद्ध जैन परंपरा, दर्शन, संस्कृति, लोकजीवन, नैतिकता।
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