आधुनिक भारत में पंडित गोविंद बल्लभ पंत जी की शिक्षा संबंधी अवधारणाओं की प्रासंगिकता
Abstract
पंडित गोविंद बल्लभ पंत आधुनिक भारत के प्रमुख राष्ट्रनायकों और समाज सुधारकों में से एक थे, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। पंत जी का मानना था कि शिक्षा केवल ज्ञानार्जन का माध्यम नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चेतना, सामाजिक न्याय और आर्थिक प्रगति की आधारशिला है। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा को सर्वसुलभ और अनिवार्य बनाने, मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा देने तथा स्त्री शिक्षा पर विशेष बल दिया। उनका दृष्टिकोण यह था कि शिक्षा व्यक्ति को आत्मनिर्भर, जागरूक और राष्ट्रहितैषी नागरिक बनाती है। वर्तमान भारत में जब शिक्षा को कौशल विकास, डिजिटलाइजेशन और रोजगारपरक बनाने पर जोर दिया जा रहा है, तब पंत जी की शिक्षा संबंधी अवधारणाएँ और भी अधिक प्रासंगिक हो जाती हैं। यह शोधपत्र पंत जी की शिक्षा संबंधी विचारधारा का विश्लेषण करते हुए उनकी वर्तमान समय में उपयोगिता और महत्व को स्पष्ट करता है।
कीवर्ड्स- पंडित गोविंद बल्लभ पंत, शिक्षा संबंधी अवधारणाएँ, आधुनिक भारत, प्राथमिक शिक्षा, स्त्री शिक्षा, मातृभाषा आधारित शिक्षा, सामाजिक न्याय, कौशल विकास
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