महर्षि अरविंद घोष का सर्वांग योग वशिष्ठ चिंतन का स्वरूप

Authors

  • नीलम देवी एवं डा0 अमित भारद्वाज

Abstract

महर्षि अरविंद घोष एक महान दार्शनिक एक राष्ट्रवादी योग गुरु कवि आदि थे। उन्होंने शिक्षा में योग शास्त्र के विकास में जो अपने विचारों की व्याख्या की वह हर तरह से मूल्यवान है उनकी शिक्षा का उद्देश्य बालक का पूर्ण रूप से विकास करना है इस मानव कल्याण की ओर बढ़ता है उनका सर्वांग योग भी आत्मा मोक्ष व कल्याण की भावना को विकसित करना ही नहीं बल्कि विश्व कल्याण की भावना को भी अपनाना है। अरविंद का मानना था कि मानक पूर्ण विकास कर इस संस्कृत जीवन में ईश्वर को प्राप्त कर सकता है इसका सिर्फ एक ही साधन है समग्र शिक्षा।
मुख्य कुंजी शब्द- महर्षि, सर्वांग योग, आध्यात्मिकता अतिमानस, अतिमानव, समग्र शिक्षा इत्यादि।

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Published

31-08-2025

How to Cite

नीलम देवी एवं डा0 अमित भारद्वाज. (2025). महर्षि अरविंद घोष का सर्वांग योग वशिष्ठ चिंतन का स्वरूप. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 4(08), 129–131. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/915

Issue

Section

Research Paper