सार्वजनिक वितरण प्रणाली का आमजन के सामाजिक और आर्थिक स्तर पर प्रभाव: एक भौगोलिक अध्ययन
Abstract
भारत एक विविधता पूर्ण और जनसंख्या प्रधान देश है, जहाँ समाज का एक बड़ा वर्ग आर्थिक रूप से कमजोर और संसाधन-वंचित है। ऐसे परिवेश में राज्य की यह जिम्मेदारी बन जाती है कि वह नागरिकों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु प्रभावी योजनाएँ संचालित करें। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अंतर्गत स्थापित एक भारतीय खाद्य सुरक्षा प्रणाली है। पीडीएस का विकास किफायती कीमतों पर खाद्यान्न वितरण के माध्यम से खाद्यान्न की कमी के प्रबंधन की एक प्रणाली के रूप में हुआ। पीडीएस का संचालन केंद्र और राज्य सरकारों की संयुक्त जिम्मेदारी के तहत होता है। केंद्र सरकार ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के माध्यम से राज्य सरकारों को खाद्यान्न की खरीद, भंडारण, परिवहन और थोक आवंटन की जिम्मेदारी संभाली है। राज्य के भीतर आवंटन, पात्र परिवारों की पहचान, राशन कार्ड जारी करना और उचित मूल्य की दुकानों (एफपीएस) के कामकाज की निगरानी आदि सहित परिचालन संबंधी ज़िम्मेदारियाँ राज्य सरकारों की हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के अंतर्गत, वर्तमान में गेहूँ, चावल, चीनी और मिट्टी के तेल जैसी वस्तुएँ वितरण के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को आवंटित की जा रही हैं। कुछ राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) दुकानों के माध्यम से जन उपभोग की अतिरिक्त वस्तुएँ जैसे दालें, खाद्य तेल, आयोडीन युक्त नमक, मसाले आदि भी वितरित करते हैं।
बीज शब्द- सार्वजनिक वितरण प्रणाली, खाद्यान्न वितरण, मूलभूत आवश्यकता
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