इक्कीसवीं सदी के भारत के पड़ोसी देशों से संबंध - अर्थनीति के विशेष संदर्भ में

Authors

  • डॉ0 अमित जायसवाल

Abstract

इक्कीसवी सदी में वैश्वीकरण, क्षेत्रीय सहयोग और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा की परिस्थितियों ने भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ आर्थिक संबंधों को पुनर्परिभाषित करने के लिए प्रेरित किया है। भारत की “नेबरहुड फर्स्ट नीति” के अंतर्गत व्यापार, ऊर्जा सहयोग, अवसंरचना विकास और मानवीय सहायता पर विशेष बल दिया गया है। अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा स्थापित आर्थिक दृष्टिकोण ने इस नीति की नींव रखी, जिसने विकास को केवल आर्थिक वृद्धि तक सीमित न रखकर समाज के कमजोर वर्गों के सशक्तिकरण का साधन माना। इस शोध-पत्र में भारत और उसके प्रमुख पड़ोसी देशों बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, म्यांमार, पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान के साथ आर्थिक संबंधों का तुलनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि किन देशों के साथ सहयोग गहराया है और किन देशों के साथ राजनीतिक, सुरक्षा अथवा रणनीतिक चुनौतियाँ संबंधों को सीमित करती हैं। साथ ही, भारत की बहुपक्षीय मंचों (SAARC, BIMSTEC, BBIN, SCO) में भूमिका का आकलन भी किया गया है। यह अध्ययन इस निष्कर्ष पर पहुँचता है कि भारत की पड़ोसी नीति अवसर और चुनौतियों का सम्मिश्रण है, और इसकी सफलता इस पर निर्भर करेगी कि क्या यह दक्षिण एशिया में स्थिरता, सहयोग और समृद्धि स्थापित कर सकती है।
बीज शब्द- भारत, पड़ोसी देश, आर्थिक संबंध, दक्षिण एशिया, नेबरहुड फर्स्ट, क्षेत्रीय सहयोग, व्यापार, ऊर्जा सुरक्षा, बहुपक्षीय मंच, वैश्वीकरण।

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Published

31-03-2025

How to Cite

डॉ0 अमित जायसवाल. (2025). इक्कीसवीं सदी के भारत के पड़ोसी देशों से संबंध - अर्थनीति के विशेष संदर्भ में. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 4(03), 140–147. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/942

Issue

Section

Research Paper